मौजूदा वर्ष की पहली छमाही में इंटरनेशनल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट का कैपिटलाइजेशन लगभग 44 प्रतिशत बढ़कर 720 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस वर्ष की शुरुआत में बिटकॉइन ETFs के लॉन्च से इस सेगमेंट की ग्रोथ तेजी से बढ़ी है
स्पॉट क्रिप्टो ETF में इससे जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट प्राइस को ट्रैक किया जाएगा और इनवेस्टर्स को उस क्रिप्टोकरेंसी को खरीदे बिना उसमें रकम लगाने का अवसर मिलेगा
लैटिन अमेरिका में बोलिविया क्रिप्टो के पक्ष में कदम उठाने वाला पहला देश बन गया है। हालांकि, इसके सेंट्रल बैंक ने बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसीज का वैध करेंसी का दर्जा नहीं दिया है
इससे पहले बिटकॉइन ETF को अच्छा रिस्पॉन्स मिला था। पहले दिन अमेरिका में इनकी ट्रेडिंग लगभग 4.6 अरब डॉलर की रही थी। क्रिप्टो सेगमेंट के लिए यह प्रोडक्ट महत्वपूर्ण है
पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो का मार्केट तेजी से बढ़ा है। इस मार्केट में हजारों क्रिप्टोकरेंसीज लॉन्च की गई हैं। इसके साथ ही स्कैम के मामले भी तेजी से बढ़े हैं जिनमें अरबों डॉलर चुराए गए हैं
भारत में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर केंद्र सरकार का सख्त रवैया बरकरार है। पिछले महीने वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा था कि देश में क्रिप्टोकरेंसीज को 'करेंसी' के तौर पर माना या देखा नहीं जाता है
अमेरिका में बिटकॉइन स्पॉट ETF को सिक्योरिटीज रेगुलेटर की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद क्रिप्टो मार्केट में काफी तेजी आई है। इन ETF में फंडिंग लगातार बढ़ रही है। इस सप्ताह बिटकॉइन का प्राइस भी 73,700 डॉलर से अधिक पर गया था जो इसका हाई प्राइस है
लगभग डेढ़ वर्ष पहले सरकार ने प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर एक प्रतिशत का TDS लगाया था। इसके साथ ही क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत टैक्स लागू किया गया था
पिछले वर्ष बिटकॉइन के प्राइस में भारी गिरावट आई थी। इसके पीछे क्रिप्टो से जुड़ी बहुत सी फर्मों का दिवालिया होना बड़ा कारण था। पिछले वर्ष के अंत में बिटकॉइन का प्राइस 42,000 डॉलर से अधिक पर था
पिछले वर्ष (RBI ने चेतावनी दी थी कि अगला वित्तीय संकट प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज से आएगा। इसके साथ ही दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कोई वैल्यू नहीं जुड़ी और यह मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए रिस्क है
पिछले वर्ष नवंबर में बिटकॉइन ने 67,000 डॉलर से अधिक का हाई बनाया था। इसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है। इसका प्राइस गिरने से बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स के साथ ही इस सेगमेंट से जुड़ी फर्मों को भी बड़ा नुकसान हुआ है