भारत के स्पेस मिशन के लिए साल 2022 उत्साह जनक रहा। कमर्शल स्पेस सेक्टर में भारत ने दुनिया को अपना दबदबा दिखाया और इसरो के सबसे भारी रॉकेट LVM3 ने OneWeb के 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स लॉन्च कर डाले। वहीं, पहला प्राइवेट रॉकेट Vikram-S भी इस साल लॉन्च हो गया, जिसने यह दर्शाया कि आने वाले वर्षों में अमेरिका की स्पेसएक्स (SpaceX) की तरह भारत में कई स्पेस कंपनियां होंगी। गगनयान मिशन को लेकर इस साल कई जानकारियां सामने आईं और मंगल मिशन अपने समापन की ओर बढ़ा। आइए इनके बारे में जान लेते हैं।
लॉन्च हुआ पहला प्राइवेट रॉकेट Vikram-S
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने इतिहास रच दिया। नवंबर में भारत का पहला प्राइवेट रॉकेट Vikram-S
लॉन्च हुआ। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह पहली बार है, जब एक प्राइवेट रॉकेट ने स्पेस में उड़ान भरी। इसी के साथ, स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) रॉकेट विकसित करने और उड़ाने वाली भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई। Vikram-S रॉकेट ने श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से उड़ान भरी। इसे मिशन प्रारंभ (Mission Prarambh) नाम दिया गया था।
इसरो ने सबसे भारी रॉकेट से लॉन्च किए 36 सैटेलाइट्स
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी ISRO की कमर्शल यूनिट न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से OneWeb के 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स का सफल
लॉन्च किया। यह लॉन्च अक्टूबर में हुआ और ISRO व NSIL के लिए बड़े कमर्शल ऑर्डर्स में से एक था। यह पहला ऐसा ऑर्डर था जिसमें LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया। यह इसरो का सबसे भारी रॉकेट है। पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी से बनाया गया LVM3 रॉकेट अभी तक चार सफल मिशन में शामिल रहा है। इसने चंद्रयान-2 मिशन को भी लॉन्च किया था।
मिशन गगनयान : अंतरिक्ष में क्या खाएंगे भारतीय यात्री, चला पता
भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान
गगनयान (Gaganyaan) को लेकर अहम जानकारी सामने आई। बताया गया कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए शाकाहारी और मांसाहारी यानी वेज और नॉनवेज फूड आइटम्स वाले 6 मेनू तैयार किए जा रहे हैं। डीआरडीओ की ओर से बताया गया कि गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय यात्रियों का खाना डीआरडीओ की मैसूर स्थित एक लेबोरेटरी में तैयार किया जा रहा है।
मिशन मंगल : 6 महीनों के लिए गए ऑर्बिटर ने 8 साल तक काम करके बनाया रिकॉर्ड
इसरो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला
मंगलयान (Mars Mission) का इसी साल अंत हो गया। मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के करीब 8 साल बाद मार्स ऑर्बिटर मिशन (MoM) की बैटरी और ईंधन हो गई। दिलचस्प बात यह रही कि मंगलयान को सिर्फ 6 महीनों के लिए भेजा गया था, लेकिन इसने 8 साल तक काम किया। अक्टूबर में इसरो ने बताया कि मंगलयान से संपर्क टूट गया है। 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किए गए मिशन में कुल 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।