भारत और हमारी अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला मंगलयान (Mars Mission) एक सुखद अंत की ओर बढ़ चुका है। मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के करीब 8 साल बाद मार्स ऑर्बिटर मिशन (MoM) की बैटरी और ईंधन खत्म होने की जानकारी मिल रही है। दिलचस्प बात यह है कि मंगलयान को सिर्फ 6 महीनों के लिए भेजा गया था, लेकिन इसने 8 साल तक काम किया। इसरो का मंगलयान से संपर्क टूट गया है और इसके बहाल होने की उम्मीद ना के बराबर है। हालांकि इस बारे में इसरो की तरफ से आधिकारिक बयान आना बाकी है।
मंगलयान को 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में कुल 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो ऐसे मिशनों के हिसाब से काफी कम थे। मंगल मिशन का बजट हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी (Gravity) से भी कम था। इस मिशन ने भारत के स्पेस प्रोग्राम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। भारत ने यह कामयाबी अपनी पहली कोशिश में ही हासिल कर ली थी और ऐसा करने वाला वह चौथा देश बन गया था।
भारत से पहले यह उपलब्धि सोवियत यूनियन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa), यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने हासिल की थी। मंगल ग्रह पर सफल मिशन पहुंचाने वाला भारत पहला एशियाई देश बन गया था। भारत से पहले कोशिश करने वाले चीन और जापान के मिशन सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन भारत ने बेहद कम लागत में मंगल मिशन को सफल करके दिखाया।
इसरो सूत्रों द्वारा मीडिया में दी गई जानकारी के अनुसार, इसरो अपने मंगलयान की बैटरी लाइफ को बढ़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हाल में आए कई ग्रहण के बाद ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। मंगलयान की बैटरी सिर्फ 1 घंटे 40 मिनट बैकअप के साथ डिजाइन की गई थी। देर तक ग्रहण लगने के कारण वह डिस्चार्ज हो गई। हालांकि बड़ी कामयाबी यह है कि मार्स ऑर्बिटर यान को सिर्फ 6 महीनों की क्षमता के साथ तैयार किया गया था और इसने 8 साल तक काम किया।
जब मार्स ऑर्बिटर यान ने अपने 6 महीनों का सफर पूरा किया, तब इसरो ने कहा था कि यह 6 महीने और काम करेगा, लेकिन मिशन 8 साल तक चलता रहा। इसने इसरो के लिए कई बेहतरीन जानकारियां जुटाईं। मंगल ग्रह से सूर्य के बारे में भी जानकारी जुटाई और उसके चंद्रमा फोबोस की तस्वीर दुनिया को दिखाई थी।