Mission Gaganyaan

Mission Gaganyaan - ख़बरें

  • इस वर्ष के अंत तक गगनयान का ट्रायल शुरू करेगा ISRO
    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे पहले यह ट्रायल मिशन पिछले वर्ष के अंत में और इस वर्ष मार्च में किया जाना था। ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने बताया कि इस वर्ष अक्टूबर से तीन बिना क्रू वाले स्पेस मिशंस का ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद दो क्रू वाले ट्रायल मिशन होंगे। एक ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट में देश के पहले एस्ट्रोनॉट 2027 में उड़ान भरेंगे।
  • चंद्रयान-5 के लिए सरकार ने दिया ISRO को अप्रूवल
    यह मिशन चंद्रमा पर वातावरण और अन्य स्थितियों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकता है। भारत का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर ह्युमन मिशन भेजने का है। चंद्रयान-5 मिशन में लगभग 350 किलोग्राम के रोवर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिशन में जापान का भी सहयोग लिया जाएगा। इससे पहले ISRO ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए तैयारी शुरू की है।
  • चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए NASA ने लॉन्च किया सैटेलाइट
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए Lunar Trailblazer सैटेलाइट लॉन्च किया है। इसका भार लगभग 200 किलोग्राम का है। इसके सोलर पैनल पूरी तरह खुले होने पर यह लगभग 3.5 मीटर चौड़ा है। इस सैटेलाइट को फ्लोरिडा में Kennedy Space Center से स्पेस में लॉन्च किया गया है।
  • अंतरिक्ष में फंसी एस्ट्रोनॉट Sunita Williams की अगले महीने हो सकती है धरती पर वापसी
    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने बताया है कि ISS के लिए क्रू-10 मिशन को 25 मार्च के बजाय 12 मार्च को लॉन्च करने का टारगेट है। विलियम्स के साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore को भी इस मिशन में लाया जाएगा। NASA ने कहा है कि क्रू-10 मिशन नए स्पेसक्राफ्ट के बजाय पहले उड़ान भर चुके SpaceX के स्पेसक्राफ्ट Endurance का इस्तेमाल करेगा।
  • भारत की 2027 में चंद्रयान-4 के लॉन्च की तैयारी, चंद्रमा से लाए जाएंगे सैम्पल
    देश के स्पेस एक्सप्लोरेशन के प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से सैम्पल वापस धरती पर लाना होगा। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में पांच अलग कंपोनेंट्स को ले जाने के लिए LVM-3 रॉकेट के कम से कम दो लॉन्च की जरूरत होगी। यह चंद्रमा से सैम्पल लाने की देश की पहली कोशिश होगी। इससे स्पेस रिसर्च में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी।
  • स्पेस डॉकिंग में कामयाबी हासिल करने वाला चौथा देश बना भारत, प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
    अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह क्षमता रखने वाला चौथा देश बन गया है। कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। पिछले वर्ष के अंत में लॉन्च किए गए ISRO के SpaDeX मिशन के प्रमुख लक्ष्यों में स्पेस डॉकिंग प्रोसेस शामिल था। यह क्षमता भविष्य में ह्युमन और स्पेश मिशंस के लिए जरूरी है। प्रधानमंत्री Narendra Modi ने इस बड़ी सफलता पर ISRO को बधाई दी है।
  • ISRO लॉन्च करेगा अमेरिकी सैटेलाइट, स्पेस से फोन कॉल बन सकती है हकीकत
    इस सैटेलाइट से स्पेस से सीधे फोन कॉल्स की जा सकेंगी। यह मौजूदा सैटेलाइट टेलीफोन सर्विसेज की तुलना में कम्युनिकेशन का एक अधिक इनोवेटिव और मॉडर्न तरीका होगा। यह पहली बार है कि जब एक अमेरिकी कंपनी एक भारतीय रॉकेट पर देश से एक बड़ा कम्युनिकेशंस सैटेलाइट लॉन्च कर रही है। ISRO की ओर से Gaganyaan मिशन को सफल बनाने के लिए तैयारी की जा रही है।
  • गगनयान मिशन में बड़ी उपलब्धि, ISRO ने शुरू की लॉन्च व्हीकल की असेंबलिंग
    ISRO ने इस मिशन के लिए ह्युमन रेटेड लॉन्च व्हीकल Mark-3 (HLVM3) की असेंबलिंग शुरू कर दी है। यह असेंबलिंग आंध्र प्रदेश में ISRO के सतीश धवन स्पेस सेंटर पर की जा रही है। देश के महत्वाकांक्षी गगनयान ह्युमन स्पेसफ्लाइट मिशन के तहत बिना क्रू वाले पहले मिशन की यह शुरुआत है। ISRO ने S200 सॉलिड रॉकेट मोटर के नोजल एंड सेगमेंट की स्टैकिंग के साथ असेंबलिंग शुरू की है।
  • अंतरिक्ष से पानी में लैंड करेंगे भारतीय एस्‍ट्रोनॉट तो क्‍या होगा? इसरो ने की टेस्टिंग, देखें फोटोज
    भारत अपने गगनयान मिशन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। बीते सप्‍ताह एक नकली गगनयान क्रू मॉड्यूल को पानी में डालकर उसे उठाया गया। यह एक प्रकार की एक्‍सरसाइज थी यह देखने के लिए कि जब एस्‍ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष से पानी में लैंड करेंगे, तब किस प्रकार की तैयारियां चाहिए होंगी। इसरो ने इंडियन नेवी के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के तट पर बंगाल की खाड़ी में यह एक्‍सरसाइज की।
  • अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाएगा भारत, अगले वर्ष लॉन्च हो सकता है गगनयान मिशन
    इस स्टेशन का नाम "भारत अंतरिक्ष स्टेशन" होगा। इसकी स्थापना 2035 तक की जा सकती है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेन्द्र सिंह ने बताया कि यह स्पेस स्टेशन 2035 तक बन जाएगा। इसके बाद 2040 तक एक भारतीय को चंद्रमा पर लैंड कराया जा सकता है। देश के पहले ह्युमन स्पेस फ्लाइट मिशन Gaganyaan के तहत 2026 की शुरुआत तक पहला भारतीय एस्ट्रोनॉट स्पेस की यात्रा करेगा।
  • Gaganyaan मिशन की लॉन्‍च डेट 1 मार्च 2025! क्‍या है यह मिशन, क्‍या हासिल होगा? जानें
    भारत के बहुप्रतीक्षित गगनयान (Gaganyaan) मिशन की शुरुआत अगले साल हो सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले साल मार्च में मानवरहित (unmanned) मिशन को उड़ाया जा सकता है। अगर कामयाबी मिली तो यह भारत और इसरो (ISRO) के लिए बड़ी उपलब्‍ध‍ि होगी, जिससे साल 2026 के मानवयुक्‍त मिशन का रास्‍ता भी खुलेगा। गगनयान मिशन का अंत‍िम मकसद भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में अपने दम पर भेजना है।
  • भारत का गगनयान मिशन 2026 तक टला, सेफ्टी और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग पर ISRO का फोकस
    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख, S Somanath ने गगनयान मिशन को एक वर्ष के लिए टालने की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में देश के एस्ट्रोनॉट मिशन से पहले बिना क्रू वाली कई टेस्ट फ्लाइट की जाएंगी। हाल ही में एयरोस्पेस इंडस्ट्री को लगे कुछ झटकों की वजह से गगनयान मिशन की तैयारी को लेकर ISRO पूरी सतर्कता बरत रहा है।
  • NASA की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने संभाली इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की कमान
    यह दूसरी बार है कि जब विलियम्स ने ISS की कमान संभाली है। इससे पहले वह 2012 में भी एक मिशन की अगुवाई कर चुकी हैं। जून में विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore केवल आठ दिन के मिशन पर Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट के जरिए ISS पर पहुंचे थे।हालांकि, स्टारलाइन में तकनीकी समस्या के कारण विलियम्स और विल्मोर की वापसी अगले वर्ष फरवरी तक टल गई है।
  • अंतरिक्ष में महीनों से फंसे होने के बावजूद खुश हैं सुनीता विलियम्स
    इन दोनों एस्ट्रोनॉट को लेकर गया Starliner स्पेसक्राफ्ट पिछले सप्ताह धरती पर विलियम्स और Wilmore के बिना वापस आ गया था। ये दोनों एस्ट्रोनॉट अगले वर्ष फरवरी में SpaceX की Crew-9 फ्लाइट से वापसी कर सकते हैं। सुनीता विलियम्स ने एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ISS को एक 'खुशगवार स्थान' बताया।
  • ISRO ने कहा, सुनीता विलियम्स की स्थिति गगनयान मिशन के लिए एक सीख होगी
    गगनयान मिशन के लिए अप्रत्याशित तकनीकी समस्याओं के लिए तैयारी होना जरूरी है। इस मिशन को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि जिससे यह पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर सकेगा

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