भारत अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान (Gaganyaan) पर काम कर रहा है। देश के तीन बड़े संस्थान ISRO, DRDO और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड मिशन से जुड़ीं जिम्मेदारियां पूरी करने में जुटे हैं। कोविड-19 का असर इस प्रोजेक्ट पर भी हुआ है। इसे साल 2021 के लिए टार्गेट किया गया था, लेकिन अबतक मिशन लॉन्च नहीं हो पाया है। इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की यह कोशिश जारी है और इससे जुड़े एक लेटेस्ट अपडेट में पता चला है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए शाकाहारी और मांसाहारी यानी वेज और नॉनवेज फूड आइटम्स वाले 6 मेनू तैयार किए जा रहे हैं।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने अपनी
रिपोर्ट में बताया है कि स्पेस में देश के पहले ह्यूमन मिशन के पास खाने की एक बड़ी वैरायटी होगी। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की मैसूर स्थित एक लेबोरेटरी में तैयार किया जा रहा है। खुद डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी यह जानकारी कन्फर्म की है और कहा है कि जीरो ग्रेविटी स्पेस में खाने की खपत को डेवलप करना नई और अनूठी चुनौती है। हमारे साइंटिस्ट इस मौके का आनंद ले रहे हैं।
खाने में मिलेंगे 6 ऑप्शन
रिपोर्ट बताती है कि मिशन पर जाने वाले क्रू मेंबर्स के पास खाने के तमाम ऑप्शंस होंगे। छह अलग-अलग मेनू तैयार होने की बात सामने आई है। इनमें नाश्ते के लिए उपमा, पोहा, इडली जैसे हल्के आइटम शामिल होने की उम्मीद है। दोपहर के भोजन के लिए मीट और वेज बिरयानी का ऑप्शन होगा, जबकि रात के खाने में चपातियों, सब्जियों और मीट के साथ ग्रेवी वाले आइटम्स शामिल हो सकते हैं।
मीठे में हलवे की पेशकश!
रिपोर्ट बताती है कि अंतरिक्ष यात्रियों को मीठे में हलवा या कोई और ऑप्शन दिया जा सकता है। इसके अलावा कई तरह के फ्रूट जूस और चाय या कॉफी का भी ऑप्शन होगा। रिपोर्टों के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों को दिया जाने वाला खाना हल्का मसालेदार होने की उम्मीद है। हालांकि मसालेदार पसंद करने वालों को एक्स्ट्रा पाउच दिए जा सकते हैं।
लेकिन नहीं मिलेगी ब्रेड
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह मिशन एक हफ्ते के लिए होगा, ऐसे में फूड पैकेज सेमी-हाइड्रेटेड होंगे। यानी क्रू मेंबर्स को उनमें पानी डालकर खाने को गर्म करना होगा। क्योंकि जीरो ग्रैविटी में पानी गिरने का डर रहता है, ऐसे में खाने में सीमित जगह में पानी डालना होगा। रिपोर्ट बताती है कि इस मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को ब्रेड नहीं दी जाएगी। पानी और जूस इस्तेमाल करने के लिए खास स्ट्रॉ भी लैब में तैयार की जा रही है।
अभी और ट्रायल बाकी
डॉ रेड्डी ने बताया है कि मॉडिफाइड फूड प्रोडक्ट्स उनके मूल्यांकन के सेकंड फेज के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि मैसूर स्थित डीआरडीओ की लेबोरेटरी के पास कठिन हालात में के लिए खाने को डेवलप करने का अच्छा एक्सपीरियंस है। जानकारी के मुताबिक यह लेबोरेटरी सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों, पनडुब्बियों में रहने वाले नाविकों और अंटार्कटिका से जुड़े अभियानों के लिए इस तरह का टास्क कर चुकी है।
पहले भी स्पेस फूड बना चुकी है लैब
खास बात यह है कि डीआरडीओ की मैसूर लैब पहले भी स्पेस के लिए फूड आइटम्स बना चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, इस लैब ने अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय- स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा के लिए खास मैंगो बार बनाए थे। राकेश शर्मा साल 1984 में रूस के सोयुज टी-11 में सवार होकर अंतरिक्ष में पहुंचे थे।