सूर्य की बढ़ती एक्टिविटी का बड़ा असर पड़ रहा है। इससे धरती से सैटेलाइट्स को नुकसान हो रहा है, विशेषतौर पर ये Starlink के कॉन्स्टेलेशन में मौजूद सैटेलाइट्स के लिए खतरनाक बन रहे हैं। इन स्टैलाइट्स को बिलिनेयर Elon Musk की स्पेस एक्सप्लोरेशन से जुड़ी SpaceX ने लॉन्च किया था।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Goddard Space Flight Centre में स्पेस फिजिसिस्ट, Denny Oliveira ने पिछले कुछ वर्षों में धरती पर वापस गिरे स्टारलिंक के 523 सैटेलाइट्स पर एक स्टडी की अगुवाई की है। इस
स्टडी में पता चला है कि सूर्य में विस्फोटों से बनने वाले जियोमैग्नेटिक तूफानों से वातावरण में खिंचाव बढ़ता है और इससे सैटेलाइट्स ऑर्बिट से गिरकर तेजी से वातावरण में दोबारा एंट्री करते हैं।
NASA की टीम ने इस स्टडी में लिखा है, "यह स्पष्ट पता चलता है कि मौजूदा सोलर साइकल की तेज सोलर एक्टिविटी का स्टारलिंक के सैटेलाइट्स पर बड़ा असर पड़ा है। यह लो-अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट्स की संख्या और सोलर एक्टिविटी मानव इतिहास में सबसे अधिक है।"
Science Alert के अनुसार, सोलर साइकल 11 वर्ष की उतार-चढ़ाव वाली एक सोलर एक्टिविटी होती है। इसमें सूर्य के पोल्स का मैग्नेटिव रिवर्सल, सोलर लपटें और कोरोनल मास इजेक्शन शामिल होते हैं। यह पोल्स के पलटने और न्यूनतम तक घटने पर अधिकतम हो जाती है। यह 25वें साइकल का उच्चतम स्तर है। यह पूर्वानुमान से मजबूत है। हालांकि, यह रिकॉर्ड में दर्ज सबसे मजबूत साइकल नहीं है।
इसका सभी लो-ऑर्बिट्स सैटेलाइट्पस पर असर पड़ा है। SpaceX के स्टारलिंक कॉन्स्टेलेशन में 8,873 सैटेलाइट्स हैं और 7,669 अभी ऑपरेशनल हैं। यह सैटेलाइट के ऑपरेशंस पर सोलर एक्टिविटी के अधिकतम होने के असर के विश्लेषण के लिए एक अनूठी केस स्टडी है। इससे सैटेलाइट्स को अपने रास्ते पर बरकरार रहने के लिए एडजस्टमेंट करने की जरूरत होती है और खिंचाव बढ़ने पर ऑर्बिट से कुछ सैटेलाइट्स गिर भी सकते हैं। SpaceX के स्टारलिंक सैटेलाइट्स से कई देशों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराया जाता है। इनमें सीमित या कोई कनेक्टिविटी नहीं रखने वाले क्षेत्र शामिल होते हैं। स्टारलिंक के सैटेलाइट्स के फंक्शन करने की अवधि आमतौर पर पांच वर्ष से कम की होती है। इसके बाद ये सैटेलाइट्स दोबारा वातावरण में एंट्री करते हैं और धरती पर पहुंचने से पहले जल जाते हैं।