वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा के नजदीक एक ऐसे ब्लैक होल को देखा है, जिसे उन्होंने निष्क्रिय ब्लैक होल के रूप में क्लासिफाइड किया है। वैज्ञानिकों को लगता है कि यह ब्लैक होल एक मरते हुए तारे में विस्फोट के बिना पैदा हुआ है। आमतौर पर ब्लैक होल एक जैसी प्रवृत्ति के होते हैं, लेकिन यह बाकियों से अलग है। दरअसल यह एक ‘एक्सरे क्वाइट' ब्लैक होल है, जिसका अर्थ है कि इससे एक्स-रे रेडिएशन नहीं निकलता। आमतौर पर ब्लैक होल्स का जन्म किसी विशाल तारे में विस्फोट से होता है, जिसे सुपरनोवा कहा जाता है, लेकिन यह ब्लैक होल अलग वजहों से बना है। ध्यान रहे कि ब्लैक होल उन घने ऑब्जेक्ट्स को कहा जाता है, जिनका गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक होता है। यह किसी भी चीज को अपनी ओर खींच सकते हैं। इनमें दाखिल होने के बाद प्रकाश यानी लाइट भी ‘खो' जाती है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह ब्लैक होल मैगेलैनिक क्लाउड आकाशगंगा के टारेंटयुला नेबुला (Tarantula Nebula) रीजन में पाया गया है। इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से कम से कम नौ गुना अधिक है। यह पृथ्वी से लगभग 160,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। ध्यान रहे कि एक प्रकाश वर्ष में 9.5 ट्रिलियन किलोमीटर होते हैं।
निष्क्रिय ब्लैक होल आमतौर पर सामान्य हैं। इनका पता लगाना कठिन होता है, क्योंकि ये अपने आसपास की चीजों से बहुत कम इंटरेक्ट करते हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी में
प्रकाशित स्टडी के प्रमुख लेखक और एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान के एक रिसर्चर तोमर शेनर ने कहा कि इस ब्लैक होल को खोजना भूसे के ढेर में सुई तलाशने जैसा था। हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलशास्त्री और स्टडी के को-राइटर करीम अल-बद्री ने कहा कि खगोलविदों द्वारा दशकों में खोजी गई यह अपनी तरह की पहली चीज है। यह मुकाम तक पहुंचने के लिए रिसर्चर्स ने चिली स्थित वेरी लार्ज टेलीस्कोप के 6 साल के ऑब्जर्वेशन को इस्तेमाल किया।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एक बेहद चमकीला और गर्म नीला तारा जिसका द्रव्यमान सूर्य से लगभग 25 गुना ज्यादा है, वह इस ब्लैक होल के साथ परिक्रमा करता है। इस तथाकथित बाइनरी सिस्टम को VFTS 243 नाम दिया गया है। रिसर्चर्स का मानना है कि ब्लैक होल का साथी तारा भी आखिरकार एक ब्लैक होल बन जाएगा और दोनों का विलय हो सकता है।