पिछले काफी सालों से शनि ग्रह को सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह कहा जाता था। यानि कि इसके पास सबसे ज्यादा उपग्रह थे। उपग्रह ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जो ग्रहों के चारों और चक्कर लगाते हैं। जिस तरह ग्रह सूर्य का चक्र लगाते हैं, वैसे ही उपग्रह अपने ग्रह का चक्कर लगाते हैं। अलग अलग ग्रहों के अलग-अलग उपग्रह या चंद्रमा होते हैं। जैसे पृथ्वी का अपना चंद्रमा है। इसी तरह मंगल, यूरेनस, नेप्च्यून के भी अपने चंद्रमा हैं। हाल ही में बृहस्पति के 12 नए चंद्रमा खोजे गए थे, जिसके बाद यह सौरमंडल का सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया था। लेकिन अब यह ताज फिर से शनि ग्रह के सिर आ गया है।
सौरमंडल में
शनि ग्रह के 65 नए चंद्रमा खोजे गए हैं जिसके बाद यह सबसे ज्यादा चंद्रमा वाला ग्रह बन गया है। बृहस्पति 95 चंद्रमा के साथ अब तक सबसे बड़ा ग्रह था। आकार में यह अभी भी सबसे बड़ा ग्रह ही है लेकिन शनि ने उपग्रहों के मामले में एक बार फिर इसे पीछे धकेल दिया है।
The Guardian के अनुसार, अब शनि ग्रह के कुल चंद्रमाओं की संख्या 145 हो गई है और यह सबसे ज्यादा उपग्रहों वाला ग्रह है।
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलम्बिया में स्पेस वैज्ञानिकों की एक टीम ने शनि के 62 नए चंद्रमा खोजे हैं। रिसर्च में शामिल यूनिवर्सिटी के ही एक खगोलशास्त्री, प्रोफेसर ब्रेट ग्लैडमैन ने बताया कि शनि ने न केवल अपने चंद्रमाओं की संख्या को लगभग दोगुना कर लिया है, बल्कि अब सौरमंडल के बाकी सभी ग्रहों की तुलना में इसके चंद्रमा सबसे ज्यादा हैं। यानि कि अन्य सभी ग्रहों के सारे चंद्रमा मिला भी दिए जाएं, तो भी शनि के चंद्रमाओं की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। अभी इन्हें खोज के आधार पर नम्बरों से पहचान दी गई है। लेकिन जल्द ही इन्हें गैलिक, नॉर्स और कैनेडियन इन्यूट गोड्स के आधार पर नाम दिया जाएगा।
शनि के पास इससे पहले 83
चंद्रमा थे जो कि इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) द्वारा पहचाने गए थे। इसके नए चंद्रमाओं की खोज करने के लिए टीम ने एक तकनीक का इस्तेमाल किया जिसे 'शिफ्ट एंड स्टैक' कहते हैं। इस तकनीक में कुछ इमेज इस्तेमाल की जाती हैं जिन्हें एक समान स्पीड पर शिफ्ट किया जाता है, जिस पर कि कोई चंद्रमा गति करता है। इससे अंतरिक्ष में मौजूद कम चमकीली चीजें भी दिखाई दे जाती हैं। शनि के ये नए चंद्रमा भी कम चमकीले बताए गए हैं।