एलियंस का वजूद है या नहीं, यह बहस वर्षों से कायम है। वैज्ञानिक भी अपनी खोजों में लगे हुए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) 'सेलफोन के आकार के रोबोट' के झुंड का निर्माण कर रही है। माना जा रहा है कि ये रोबोट बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा और शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस पर मोटी बर्फीली परत के नीचे पानी में एलियंस की मौजूदगी की तलाश करने में काबिल होंगे। कहा जाता है कि इन छोटे रोबोट्स को बर्फ पिघलाने में सक्षम एक प्रोब के अंदर फिट किया जाएगा। प्रोब बर्फ को काटकर अपने लिए रास्ता बनाएगा। इसके बाद रोबोट्स को पानी में छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद रोबोट तैरकर वहां एलियंस लाइफ को टटोलेंगे। इस इनोवेटिव आइडिया के पीछे नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के इंजीनियर एथन शालर का दिमाग है।
सेंसिंग विद इंडिपेंडेंट माइक्रो-स्विमर्स (SWIM) नाम के इस कॉन्सेप्ट को हाल ही में 600,000 डॉलर की फंडिंग मिली है। शालर और उनकी टीम को अगले दो साल में इस कॉन्सेप्ट का 3D-प्रिंटेड प्रोटोटाइप तैयार और टेस्ट करना है।
रिपोर्ट के
मुताबिक एथन शालर के मिनी रोबोट दूसरे कॉन्सेप्ट की तुलना में बहुत छोटे होंगे। इनकी खूबी यह होगी कि एक ही प्रोब में कई रोबोट को पैक किया जा सकेगा। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है कि पृथ्वी से लाखों मील दूर हमारे साथी ग्रहों के उपग्रहों में जीवन की संभावना को तलाशा जा सकेगा और यह काम काफी तेजी से होगा।
जिस रोबोट की कल्पना अभी की गई है, उनमें से हरेक लगभग 12 सेंटीमीटर लंबा होगा। हरेक रोबोट का अपना प्रोपल्शन सिस्टम, ऑनबोर्ड कंप्यूटर और अल्ट्रासाउंड कम्युनिकेशन सिस्टम होंगे। इसके अलावा तापमान, एसिडिटी और प्रेशर नापने वाले सेंसर भी लगे होंगे। स्टडी के दूसरे फेज में बायोमार्कर को मॉनिटर करने के लिए केमिकल सेंसर भी जोड़े जाएंगे।
नासा का यूरोपा क्लिपर मिशन साल 2024 में लॉन्च करने की योजना है। बृहस्पति के इस उपग्रह की जांच के लिए वैज्ञानिक तैयारियों में जुटे हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि तैरने वाले रोबोट कब तक लॉन्च किए जाएंगे। एक अनुमान यह भी है कि इसी मिशन के साथ इन रोबोट्स को भी लॉन्च किया जाएगा। आने वाले दिनों में इस मिशन से जुड़ीं कई और जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।