• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • चंद्रमा पर मिली 17‍ डिग्री तापमान वाली जगह, क्‍या Nasa यहीं बनाएगी अपने मून मिशन का बेस

चंद्रमा पर मिली 17‍ डिग्री तापमान वाली जगह, क्‍या Nasa यहीं बनाएगी अपने मून मिशन का बेस

लूनार रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने जिस गड्ढे का पता लगाया है, वह चंद्रमा के ‘मारे ट्रैंक्विलिटैटिस’ इलाके के नाम से जाना जाता है।

चंद्रमा पर मिली 17‍ डिग्री तापमान वाली जगह, क्‍या Nasa यहीं बनाएगी अपने मून मिशन का बेस

Photo Credit: agupubs.onlinelibrary.wiley.com

चंद्रमा की सतह के विपरीत गड्ढों पर हर समय लगभग 17 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है।

ख़ास बातें
  • चंद्रमा पर बेस बनाने के लिए नासा ने की बेहतर जगह की तलाश
  • हालांकि यह कोई सतही इलाका नहीं, एक गड्ढा है
  • वहां लगातार 17 डिग्री सेल्सियस तापमान बना रहता है
विज्ञापन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने अपने मून मिशन को रफ्तार देना शुरू कर दिया है। आर्टिमिस प्रोग्राम के तहत वह एक बार फ‍िर से इंसान को चांद पर उतारना चाहती है, लेकिन इस बार तैयारी बड़ी है। नासा चंद्रमा पर अपने एस्‍ट्रोनॉट्स के लिए बेस तैयार करने की योजना बना रही है, ताकि भविष्‍य में वहां से ही मंगल ग्रह तक पहुंचने में सफलता पाई जा सके। नासा की तरह ही चीन भी मून मिशन पर आगे बढ़ रहा है, जिसमें उसे रूस का सहयोग मिल रहा है। चीन की चुनौती ने नासा को अपना मिशन और तेज करने के लिए मजबूर किया है। अच्‍छी बात है कि अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी ने चंद्रमा पर अपना बेस बनाने के लिए एक बेहतर जगह की तलाश पूरी कर ली है। हालांकि यह कोई सतही इलाका नहीं, एक गड्ढा है। 

दरअसल, नासा के लूनार रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) का डेटा बताता है कि चंद्रमा पर गड्ढों में सबसे स्थिर तापमान होता है और यह चंद्रमा पर बेस के लिए एकदम सही जगह हो सकती है। यानी नासा के मून मिशन के लिए चंद्रमा पर मौजूद गड्ढे सबसे बेहतर स्‍पॉट हो सकते हैं, जहां तापमान स्थिर रहता है।  

लूनार रिकोनिसेंस ऑर्बिटर ने जिस गड्ढे का पता लगाया है, वह चंद्रमा के ‘मारे ट्रैंक्विलिटैटिस' इलाके के नाम से जाना जाता है। यह गड्ढा 100 मीटर गहरा और फुटबॉल के मैदान जितना चौड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि गड्ढे के ओवरहैंग की वजह से यहां छाया रहती है, जिससे लगातार वहां 17 डिग्री सेल्सियस तापमान बना रहता है। 

यह जानकारी जियोफ‍िजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है। बताया गया है कि इन गड्ढों पर चंद्रमा की सतह के विपरीत हर समय लगभग 17 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है। चंद्रमा की सतह की बात करें, तो वहां दिन में तापमान 127 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और रात में यह -173 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ऐसे में चंद्रमा की सतह पर बेस बनाने से मिशन असंभव हो जाएगा, जबकि गड्ढों में बेस बनाना कारगर हो सकता है, क्‍योंकि वहां तापमान 17 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहेगा। 

खास बात यह है कि इन गड्ढों को साल 2009 में ही खोज लिया गया था। तब माना गया था कि ये गड्ढे वहां मौजूद गुफाओं तक ले जाते होंगे। वैज्ञानिकों का यह भी मानना ​​था कि गड्ढे अंतरिक्ष यात्रियों को ब्रह्मांडीय किरणों, सौर रेडिएशन और छोटे उल्कापिंडों से बचाने में मददगार हो सकते हैं। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. 10 लाख ChatGPT यूजर्स ने की आत्महत्या जैसी बातें, ChatGPT की इस रिपोर्ट ने डरा डाला!
  2. Reliance Jio ने कॉर्पोरेट JioFi प्लान किए लॉन्च, फ्री राउटर के साथ फास्ट इंटरनेट और SMS के फायदे
  3. जेब में फिट होने वाला प्रिंटर! Xiaomi का नया गैजेट चलते-फिरते करेगा फोटो प्रिंट, जानें कीमत
  4. Nothing Phone (3a) Lite का लॉन्च आज, 8GB रैम, बड़ी बैटरी के साथ होंगे धांसू फीचर्स! जानें सबकुछ
  5. IND vs AUS 1st T20I Live: भारत-ऑस्ट्रेलिया T20 मैच आज यहां देखें बिल्कुल फ्री!
  6. Wobble भारत में लॉन्च करने जा रहा अपना पहला स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और स्पेसिफिकेशंस
  7. OnePlus Ace 6 Turbo के लॉन्च की तैयारी में वनप्लस! 8000mAh बैटरी, 100W चार्जिंग जैसे धांसू फीचर्स लीक
  8. Moto X70 Air vs Vivo V60e vs OnePlus Nord 5: जानें कौन सा फोन रहेगा बेस्ट
  9. ChatGPT Go भारत में 1 साल के लिए फ्री, 4 नवंबर से कर पाएंगे ज्यादा चैट, इमेज जनरेट, 4788 रुपये का फायदा
  10. 18.3 करोड़ पासवर्ड लीक! क्या आपका Gmail अकाउंट सुरक्षित है? ऐसे करें चुटकी में चेक
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »