देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink के डिवाइसेज मिलने पर इस कंपनी के मालिक Elon Musk ने कहा है कि भारत में यह सर्विस इनएक्टिव है। पिछले कुछ सप्ताह में स्टारलिंक के दो डिवाइसेज बरामद हुए हैं। इनमें से एक डिवाइस हिंसा का सामना कर रहे पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में सेना को मिला है।
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस उपलब्ध कराने के लिए
स्टारलिंक ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी। इस वजह से यह कंपनी सुरक्षा को लेकर किसी भी आशंका को दूर करने का प्रयास कर रही है। मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया, "स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में नहीं है।" भारतीय सेना ने बताया था कि पिछले सप्ताह मणिपुर में एक तलाशी अभियान के दौरान हथियारों, स्टारलिंक के लोगो वाली एक सैटेलाइट डिश और रिसीवर को जब्त किया गया था। इस तलाशी अभियान की जानकारी रखने वाले सेना के दो अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि स्टारलिक के लोगो वाले डिवाइस का इस्तेमाल एक उग्रवादी संगठन कर रहा था।
ऐसी आशंका है कि इस डिवाइस की मणिपुर की सीमा से लगते म्यांमार से तस्करी की गई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि म्यांमार में विद्रोही गुट स्टारलिंक के डिवाइसेज का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, स्टारलिंक की सर्विस म्यांमार में भी उपलब्ध नहीं है। हाल ही में टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia ने बताया था कि केंद्र सरकार वैश्विक चलनों के अनुसार, इस स्पेक्ट्रम को एलोकेट करेगी। हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना था कि इस बारे में अंतिम नोटिफिकेशन TRAI से फीडबैक मिलने के बाद जारी किया जाएगा।
टेलीकॉम कंपनियों को सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने के साथ ही कई मिनिस्ट्रीज से अप्रूवल की जरूरत होती है। पिछले वर्ष
रिलायंस जियो ने बताया था कि उसने दूरदराज के चार क्षेत्रों को अपनी JioSpaceFiber सर्विस से कनेक्ट किया है। ये क्षेत्र गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट, ONGC हैं। कुछ विदेशी इंटरनेट सर्विस कंपनियों ने इस स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की डिमांड की थी। एनालिस्ट्स का मानना है कि इस स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन होने पर अधिक इनवेस्टमेंट करना पड़ सकता है। इससे विदेशी कंपनियों की दिलचस्पी घट सकती है।