पिछले कुछ वर्षों में हैंकिंग के मामले तेजी से बढ़े हैं। इससे कुछ कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा ऐसे मामलों में संवेदनशील जानकारी के लीक होने का भी खतरा होता है। इस समस्या पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने उपाय भी किए हैं। इसी कड़ी में इंडियन सायबरक्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) और टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DoT) ने विदेशी हैकर्स के कम से कम 17,000 वॉट्सऐप एकाउंट्स को ब्लॉक किया है।
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के सायबर सेफ्टी हैंडल, CyberDost ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक
पोस्ट में बताया कि उसका लक्ष्य विदेशी क्रिमिनल नेटवर्क को नष्ट करना और देश की डिजिटल सुरक्षा को बढ़ाना है। इस पोस्ट में कहा गया है, "I4C ने DoT के साथ मिलकर दक्षिण पूर्व एशिया के सायबर क्रिमिनल्स के न्यूनतम 17,000 WhatsApp एकाउंट्स को ब्लॉक किया है। इसका लक्ष्य विदशी क्रिमिनल नेटवर्क्स को तोड़ना और देश की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना है।"
इस वर्ष मई में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने कंबोडिया, फिलिपींस, लाओस और म्यांमार जैसे दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से संगठित सायबरक्राइम में बढ़ोतरी से निपटने के लिए एक इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी बनाई थी। देश में सायबर फाइनेंशियल फ्रॉड्स का लगभग 45 प्रतिशत दक्षिण पूर्व एशिया से होता है। ये अपराध अधिक जटिल और बड़े हो गए हैं। इससे पीड़ितों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ये हैकर्स जिस इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करते हैं उसे नष्ट करने के लिए I4C ने कई कदम उठाए हैं। I4C की जांच में पता चला है कि सायबर क्रिमिनल अपने जाल में फंसाने के लिए लोगों को निवेश के मौकों, गेम्स, डेटिंग ऐप्स.
क्रिप्टोकरेंसी और जाली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स की पेशकश करते हैं। ये लोगों को अक्सर सोशल मीडिया के जरिए अपने जाल में फंसाते हैं।
इसके अलावा देश के युवाओं को कंबोडिया में जॉब का झांसा देकर भेजा जाता है और वहां उनसे सायबरक्राइम करने के लिए मजबूर किया जाता है। हाल ही में इस तरह के एक मामले में कंबोडिया के एक शहर में विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ भारतीयों को गिरफ्तार किया गया था। सरकार इन लोगों को सुरक्षित वापस लाने के प्रयास किए थे। I4C का फोकस लोगों के साथ सायबरक्राइम से मामलों से निपटना है। इसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन शामिल है।