अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर Tesla के सायबरट्रक का पिछले कुछ वर्षों से इंतजार किया जा रहा है। इस इलेक्ट्रिक पिकअप ट्रक को लगभग चार वर्ष पहले पेश किया गया था। हालांकि, इसकी डिलीवरी को कंपनी ने कई बार टाला है। टेस्ला ने इसकी डिलीवरी 30 नवंबर से शुरू करने की घोषणा की है।
टेस्ला के सायबरट्रक का मुकाबला GMC Hummer EV और Ford F-150 Lightning से होगा। हाल ही में कंपनी के चीफ Elon Musk ने बताया था कि सायबरट्रक का प्रोडक्शन बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए बुकिंग खुली है लेकिन कस्टमर्स को इसकी डिलीवरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा इसे तीन वर्जन में लॉन्च किया जा सकता है। इनमें सिंगल मोटर, रियर व्हील ड्राइव और डुअल मोटर शामिल होंगे। यह व्हीकल तीन सेकेंड से कम में शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पकड़ सकता है। इसके बेस मॉडल का प्राइस 39,900 डॉलर होगा।
टेस्ला की इस वर्ष के अंत तक फुली ऑटोनॉमस व्हीकल्स को लॉन्च करने की तैयारी है। पिछले कुछ वर्षों से कंपनी इस टेक्नोलॉजी को डिवेलप कर रही है। इससे पहले मस्क फुली ऑटोनॉमस सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल्स लाने की अपनी समयसीमा को पूरा करने में नाकाम रहे थे।
कंपनी ने भारत में फैक्टरी लगाने के लिए केंद्र सरकार के साथ एक इनवेस्टमेंट प्रपोजल पर बातचीत शुरू की है। टेस्ला की फैक्टरी की वार्षिक कैपेसिटी लगभग पांच लाख यूनिट्स की होगी।
कंपनी की भारत में बनी इलेक्ट्रिक कारों के प्राइसेज 20 लाख रुपये से शुरू हो सकते हैं। इसकी योजना भारत को एक्सपोर्ट के लिए बेस बनाने की भी है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मस्क की अमेरिका में मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में मोदी ने मस्क को भारत में इनवेस्टमेंट करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
इसके बाद मस्क ने कहा था कि वह जितना जल्द हो सके भारत में इनवेस्टमेंट करने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना था, "दुनिया में किसी बड़े देश की तुलना में भारत में अधिक संभावनाएं हैं। मुझे विश्वास है कि टेस्ला जल्द ही भारत में आएगी।" मस्क ने अगले वर्ष भारत की यात्रा करने का भी संकेत दिया था। सरकार ने यह संकेत दिया है कि EV मेकर्स को देश में बिक्री के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट के बजाय इम्पोर्ट करने के बजाय व्हीकल्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग करनी होगी।