देश में व्हीकल्स की कुल सेल्स में EV की हिस्सेदारी बढ़कर 7 प्रतिशत से ज्यादा हुई

देश में EV की सेल्स में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स की बड़ी हिस्सेदारी है। हालांकि, इन व्हीकल्स की बिक्री बढ़ाने में अधिक प्राइस और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी जैसी रुकावटें भी हैं

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 26 जनवरी 2025 21:11 IST
ख़ास बातें
  • पिछले वर्ष कुल व्हीकल्स में EV की हिस्सेदारी लगभग 7.4 प्रतिशत की थी
  • दुनिया भर में पिछले वर्ष प्रत्येक चार व्हीकल्स की बिक्री में एक EV था
  • देश में EV की सेल्स में अधिक प्राइस एक बड़ी रुकावट है

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से EV की सेल्स को बढ़ाने के लिए इंसेंटिव्स दिए जा रहे हैं

भारत में पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की बिक्री तेजी से बढ़ी है। पिछले वर्ष कुल व्हीकल्स में EV की हिस्सेदारी लगभग 7.4 प्रतिशत की थी। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2030 तक बढ़कर 30-35 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से EV की सेल्स बढ़ाने के लिए इंसेंटिव दिए जा रहे हैं।  

SBI Capital Markets की "SBI Capital Markets" रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में पिछले वर्ष प्रत्येक चार व्हीकल्स की बिक्री में एक EV था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में EV की सेल्स तेजी से बढ़ सकती है। यह उसकी तरह हो सकता है जैसे टेलीकॉम सेक्टर में 3G से 4G पर शिफ्ट हुआ था। EV की सेल्स को बढ़ाने के लिए इंसेंटिव्स भी दिए जा रहे हैं। इनमें EV पर पांच प्रतिशत का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST), बहुत से राज्यों में कम रोड टैक्स और PM E-DRIVE के साथ ही FAME स्कीम्स के तहत सब्सिडी शामिल हैं। 

देश में EV की सेल्स में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स और थ्री-व्हीलर्स की बड़ी हिस्सेदारी है। हालांकि, इन व्हीकल्स की बिक्री बढ़ाने में अधिक प्राइस और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी जैसी रुकावटें भी हैं। दुनिया भर में क्लाइमेट चेंज और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के प्रभाव को घटाने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाने की कोशिश हो रही है। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी बड़ा योगदान दे सकते हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2030 तक 100 GWh की बैटरी कैपेसिटी तक पहुंचने के लिए लगभग 600 अरब रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर की जरूरत होगी। देश में बैटरी की जरूरतों का लगभग 75 प्रतिशत इम्पोर्ट से पूरा किया जाता है। 
 
पिछले वर्ष रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज मिनिस्टर Nitin Gadkari ने बताया था कि देश की EV इंडस्ट्री 2030 तक लगभग 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है। यह इंडस्ट्री अभी 4.50 लाख करोड़ रुपये की है। अगले पांच वर्षों में इस इंडस्ट्री में रोजगार के लगभग पांच करोड़ अवसर बनने की संभावना है। गडकरी ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले व्हीकल्स के विकल्प के तौर पर EV की सेल्स में बढ़ोतरी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया था, "हम लगभग 22 लाख करोड़ रुपये के फॉसिल फ्यूल का इम्पोर्ट करते हैं। यह एक बड़ी इकोनॉमिक चुनौती है। हमारे देश में फॉसिल फ्यूल के इस इम्पोर्ट से काफी समस्याएं हो रही हैं।" अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में भारत तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है। इसके बावजूद देश में EV की संख्या काफी कम है। 
 
 

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