बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल Ola Electric ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के लिए बैटरी सेल बनाने की बड़ी फैक्टरी लगाने की तैयारी की है। तमिलनाडु के कृष्णागिरी में इस फैक्टरी का कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया है। इसे बैटरी सेल बनाने की सबसे एडवांस्ड और बड़ी फैक्टरियों में से एक बताया जा रहा है। इसमें बैटरी सेल के साथ ही अन्य बैटरी सॉल्यूशंस भी तैयार किए जाएंगे।
कंपनी के CEO, Bhavish Aggarwal ने इस बारे में ट्विटर पोस्ट में घोषणा की है। उन्होंने बताया, "बैटरी सेल की हमारी बड़ी फैक्टरी का कार्य शुरू हो गया है। यह दुनिया की बड़ी बैटरी सेल फैक्टरियों में शामिल होगी।" देश में यह बैटरी सेल बनाने वाली पहली फैक्टरी होगी। देश में बैटरी सेल की मैन्युफैक्चरिंग से विदेश से इसकी सप्लाई पर निर्भरता कम होगी। इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कॉस्ट भी घट सकती है। केंद्र सरकार EV को बढ़ावा देने के उपाय कर रही है। इसके लिए सरकार ने PLI स्कीम के तहत इंसेंटिव्स की भी घोषणा की है।
सॉफ्टवेयर से लेकर ऑटोमोबाइल कर के बिजनेस से जुड़े Tata Group ने भी भारत और यूरोप में
EV के लिए बैटरी सेल प्लांट्स लगाने की योजना बनाई है। हाल ही में टाटा ग्रुप की ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, P B Balaji ने कहा था कि इलेक्ट्रिक कारों में लोकल कंपोनेंट्स की हिस्सेदारी बढ़ाने में EV की बैटरी के लिए सेल मैन्युफैक्चरिंग को लोकलाइज करना महत्वपूर्ण है। इससे कंपनी को लोकल सप्लाई चेन तैयार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया था कि टाटा मोटर्स बैटरी सेल मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत के अलावा यूरोप में प्लांट लगाने पर विचार कर रही है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले Lithium का राजस्थान में बड़ा रिजर्व मिला है। कुछ महीने पहले देश का पहला लिथियम रिजर्व जम्मू और कश्मीर में मिला था। ऐसा बताया जा रहा है राजस्थान में नागौर के देगाना में मिला लिथियम रिजर्व इससे कहीं अधिक है। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि इन रिजर्व में मौजूद लिथियम देश की जरूरत का 80 प्रतिशत पूरा कर सकता है। इससे लिथियम के लिए भारत की चीन पर निर्भरता कम हो सकती है। लिथियम के लिए भारत पूरी तरह विदेश से सप्लाई पर निर्भर है।