पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की बिक्री तेजी से बढ़ी है। इसके बड़े मार्केट्स में अमेरिका और चीन शामिल हैं। हालांकि, इन दोनों देशों के बीच तनाव का असर इनके कारोबार पर भी पड़ रहा है। अमेरिका के इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट को लेकर चीन ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन ( WTO) में शिकायत की है। चीन का कहना है कि यह एक्ट भेदभाव वाला है और इससे उचित प्रतिस्पर्धा को नुकसान हो रहा है।
अमेरिका में EV पर सब्सिडी की पॉलिसी को चुनौती देने के लिए चीन ने WTO की विवाद के निपटारे की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है। इस वर्ष की शुरुआत से अमेरिका में EV खरीदने वालों को 3,750 डॉलर से 7,500 डॉलर के टैक्स क्रेडिट नहीं दिए जा रहे अगर EV में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण मिनरल्स या अन्य बैटरी कंपोनेंट्स चीन, रूस, उत्तर कोरिया या ईरान से हैं या इनकी फर्मों ने बनाए हैं। चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने एक स्टेटमेंट में कहा कि अमेरिका ने क्लाइमेट चेंज से निपटने की आड़ में EV पर सब्सिडी के लिए भेदभाव वाली पॉलिसी बनाई है।
इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी EV मेकर
Tesla के CEO, Elon Musk ने कहा था कि अगर चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों पर ट्रेड से जुड़ी बंदिशें नहीं लगाई गई तो वे ग्लोबल ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए खतरा बन सकती हैं। टेस्ला को चीन की BYD से कड़ी टक्कर मिल रही है। मशहूर इनवेस्टर Warren Buffett की फंडिंग वाली
BYD अपनी कम प्राइस वाली इलेक्ट्रिक कारों के दम पर पिछले तिमाही में टेस्ला को पीछे छोड़कर सबसे अधिक EV बेचने वाली कंपनी बन गई थी।
पिछले वर्ष टेस्ला ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों के प्राइसेज में कटौती की थी लेकिन इसके बावजूद वह बिक्री में BYD से पीछे रह गई। इसके अलावा टेस्ला के मार्जिन पर भी असर पड़ा था। मस्क ने बताया था कि चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियां कड़ी टक्कर दे रही हैं और अगर इन पर टैरिफ नहीं लगाए गए तो ये चीन से बाहर बड़ी सफलता हासिल कर सकती हैं। चाइनीज ऑटोमोबाइल कंपनियों का मुकाबला करने के लिए टेस्ला एक कम प्राइस वाली कॉम्पैक्ट क्रॉसओवर बनाने की तैयारी कर रही है। इसकी मैन्युफैक्चरिंग अगले वर्ष की दूसरी छमाही में अमेरिका में कंपनी की टेक्सास की फैक्टरी में शुरू हो सकती है।