Bitcoin माइनिंग के कारण इलेक्ट्रिसिटी की कमी की समस्या को झेलने वाले देशों में ईरान भी शामिल हो गया है। ईरान ने इससे निपटने के लिए बिटकॉइन माइनिंग सेंटर्स पर तीन महीने की रोक लगाने की घोषणा की है। बिटकॉइन टोकन को माइन करने के लिए एडवांस्ड कंप्यूटर्स पर जटिल एल्गोरिद्म को सॉल्व करना होता है। इन कंप्यूटर्स को लगातार प्लग इन रखने की जरूरत होती है जिससे इलेक्ट्रिसिटी की खपत काफी बढ़ जाती है और इससे एक रीजन में इलेक्ट्रिसिटी की सप्लाई में रुकावट हो सकती है।
Zycrypto की
रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ग्रिड मैनेजमेंट के डायरेक्टर, मुस्तफा रजानी मशादी ने बिटकॉइन माइनिंग पर रोक लगाने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य 209 मेगावॉट तक इलेक्ट्रिसिटी की बचत करना है। रोक 6 मार्च तक जारी रहेगी। ईरान की अथॉरिटीज अवैध बिटकॉइन माइनिंग सेंटर्स पर नियंत्रण करेंगी, जो 600 मेगावॉट से अधिक इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते हैं। यह पहली बार नहीं है कि जब ईरान की अथॉरिटीज ने अपने पावर ग्रिड पर प्रेशर के बड़े कारण के लिए बिटकॉइन माइनिंग को जिम्मेदार बताया है। पिछले वर्ष मई में भी ईरान ने बिटकॉइन माइनिंग पर चार महीने की
रोक लगाई थी क्योंकि इससे देश के कई हिस्सों में इलेक्ट्रिसिटी की कमी हो गई थी।
कैम्ब्रिज के रिसर्चर्स के अनुसार, बिटकॉइन माइनिंग से एक वर्ष में लगभग 121.36 टेरावॉट आवर्स (TWh) एनर्जी की खपत होती है। क्रिप्टो माइनिंग में इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत होने का कुछ देशों में विरोध किया जा रहा है। हाल ही में रूस के Irkutsk क्षेत्र में इलेक्ट्रिसिटी की कमी के लिए क्रिप्टो की माइनिंग करने वालों को दोषी बताया गया था। इस क्षेत्र में बहुत से लोगों के क्रिप्टो माइनिंग में शामिल होने के कारण पिछले वर्ष इलेक्ट्रिसिटी की खपत 108 प्रतिशत बढ़ गई थी।
चीन जैसे कुछ देशों में इसी वजह से बिटकॉइन माइनिंग पर
रोक लगा दी गई है। यूरोप में कोसोवो की सरकार ने भी देश में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग पर बैन लगा दिया है। यह फैसला बिजली की खपत को घटाने के लिए किया गया है। इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन में कमी के कारण कोसोवो बीते एक दशक में इलेक्ट्रिसिटी की सबसे अधिक कमी का सामना कर रहा है। अमेरिका के कुछ राज्यों में भी बिटकॉइन माइनिंग में इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत का
विरोध किया जा रहा है।
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