पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टो मार्केट में गिरावट है। बहुत से देशों में रेगुलेटर्स भी क्रिप्टो को लेकर आशंकाएं जता चुके हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का रुख भी इस मार्केट के खिलाफ रहा है। RBI का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसीज पर उपलब्ध डेटा भ्रामक है और इस मार्केट के लिए स्पष्ट रूल्स बनाने की जरूरत है।
RBI के डिप्टी गवर्नर जनरल, T Rabi Sankar ने कहा कि
क्रिप्टोकरेंसीज क्या हैं और इनका क्या कार्य है इसे समझाने के लिए रूल्स बनाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि क्रिप्टोकरेंसीज पर उपलब्ध डेटा भ्रामक है। उनका कहना था कि इस मार्केट को प्रभावी तरीके से रेगुलेट करने की जरूरत है। Sankar ने बताया, "इस मार्केट का अधिक डेटा उपलब्ध नहीं है और जो भी डेटा उपलब्ध है वह भ्रामक है। पर्याप्त जानकारी नहीं होने पर रेगुलेशंस बनाने से गलत रास्ते पर जाने की आशंका है।" उनका कहना था कि क्रिप्टो को लेकर पर्याप्त, विश्वसनीय और निरंतर जानकारी की जरूरत है।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की एक कॉन्फ्रेंस में Sankar ने कहा कि IMF सहित इंटरनेशनल एजेंसियों को क्रिप्टो को रेगुलेट करने के लिए अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। कुछ महीने पहले RBI ने क्रिप्टोकरेंसीज को एक 'स्पष्ट खतरा' करार देते हुए कहा था कि किसी चीज की वैल्यू अगर किसी एसेट के आधार के बिना केवल विश्वास पर बनी है तो वह केवल एक अच्छे नाम के साथ सट्टेबाजी है। क्रिप्टोकरेंसीज पर केंद्र सरकार एक कंसल्टेशन पेपर तैयार कर रही है। इसके लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स और इंस्टीट्यूशंस से इनपुट लिए गए हैं। इनमें वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड IMF के इनपुट भी शामिल हैं।
क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर RBI पहले भी आशंकाएं जता चुका है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (FSR) में कहा था कि फाइनेंशियल सिस्टम के अधिक डिजिटलाइज्ड होने के साथ सायबर
रिस्क भी बढ़ रहे हैं और इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उनका कहना था, "क्रिप्टोकरेंसीज एक स्पष्ट खतरा है। किसी भी चीज की वैल्यू अगर किसी एसेट के आधार के बिना केवल विश्वास पर होती है तो वह सट्टेबाजी है।" क्रिप्टोकरेंसीज में गिरावट से इस सेगमेंट की बहुत सी फर्मों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई है और उन्हें छंटनी जैसे उपाय करने पड़ रहे हैं।