देश में पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसीज की ट्रेडिंग वॉल्यूम तेजी से बढ़ी है। इस सेगमेंट पर टैक्स अधिक होने से ग्रोथ पर असर पड़ रहा है। बजट से पहले क्रिप्टो इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार से इस सेगमेंट पर टैक्स घटाने के निवेदन किए थे। हालांकि, इंटरिम बजट में फाइनेंस मिनिस्टर Nirmala Sitharaman ने क्रिप्टो सेगमेंट का कोई जिक्र नहीं किया है। इससे इस इंडस्ट्री से जुड़े स्टेकहोल्डर्स निराश हैं।
क्रिप्टो इंडस्ट्री को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले बजट में इस सेगमेंट के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। सीतारमण ने लगभग एक घंटे के अपने बजट भाषण में कहा था कि टैक्स में कोई बदलाव नहीं किए जा रहे।
क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX के वाइस प्रेसिडेंट, Rajagopal Menon ने कहा, "हमारा मानना है कि क्रिप्टो और वर्चुअल डिजिटल एसेट्स लोगों को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाकर 'विकसित भारत' तक पहुंचने में योगदान दे सकते हैं। हमें उम्मीद है कि क्रिप्टो पर TDS रेट को घटाकर 0.01 प्रतिशत किया जाएगा।"
लगभग डेढ़ वर्ष पहले सरकार ने प्रत्येक क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर एक प्रतिशत का TDS लगाया था। इसके साथ ही क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर 30 प्रतिशत टैक्स लागू किया गया था। क्रिप्टो सेगमेंट से जुड़े स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि इससे देश में क्रिप्टो की ट्रेडिंग एक्टिविटीज में कमी हुई है। कुछ देशों में
रेगुलेटर्स ने भी इस सेगमेंट को लेकर चेतावनी दी है।
हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इमर्जिंग मार्केट्स को खतरे की चेतावनी दोहराई थी। RBI का कहना था कि कुछ देशों में इस सेगमेंट को स्वीकृति मिलने के बावजूद उसकी पोजिशन में इसे लेकर बदलाव नहीं हुआ है। अमेरिका में सिक्योरिटीज रेगुलेटर SEC के बिटकॉइन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को स्वीकृति देने से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में RBI के गवर्नर Shaktikanta Das का कहना था, "क्रिप्टोकरेंसीज पर चाहे कोई कुछ भी करे लेकिन RBI और मेरी पोजिशन नहीं बदली है। इमर्जिंग मार्केट्स की इकोनॉमी के लिए यह एक बड़ा खतरा है और इस पर आगे जाकर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होगा।" दास का कहना था कि क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कोई वैल्यू नहीं जोड़ी और इससे मैक्रोइकोनॉमिक और फाइनेंशियल स्थिरता को खतरा हो सकता है।