Bitcoin Investors Alert: मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin में बड़ा इनवेस्टमेंट करने वाले शार्क की संख्या एक वर्ष में लगभग 80 प्रतिशत घटी है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि बिटकॉइन के बड़े इनवेस्टर्स को मार्केट में गिरावट से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही कई बड़े व्हेल्स अकाउंट तेजी से इस क्रिप्टो (Bitcoin Price in India) से दूरी भी बना रहे हैं।
एनालिटिक्स फर्म Glassnode के डेटा से पता चलता है कि
बिटकॉइन की 10 लाख डॉलर या इससे अधिक रकम वाले वॉलेट्स की संख्या 23,000 से कुछ अधिक की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इस क्रिप्टोकरेंसी में बड़ी गिरावट का एक संकेत हो सकता है। तेजी के पिछले दौर के अंत में बिटकॉइन का प्राइस 19,666 डॉलर पर था। इसके बाद दिसंबर 2017 के अंत में यह गिरकर लगभग 13,880 डॉलर हो गया था। हाल ही में मशहूर ट्रेडर Peter Brandt ने कहा था कि बिटकॉइन गिरकर शून्य तक भी जा सकता है। क्रिप्टो एक्सचेंज FTX के बैंकरप्ट होने से इस क्रिप्टोकरेंसी की साख को बड़ा नुकसान हुआ है।
Glassnode ने बताया है कि पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में बिटकॉइन में 10 लाख डॉलर से अधिक रकम रखने वाले वॉलेट्स की संख्या लगभग 23,240 की थी। पिछले वर्ष नवंबर में बिटकॉइन ने लगभग 69,000 डॉलर का हाई छुआ था और तब इन वॉलेट्स की संख्या 1,13,898 की थी। बिटकॉइन के प्राइस में इस वर्ष गिरावट आने के साथ ही इन वॉलेट्स की संख्या में भी कमी हो रही है क्योंकि इनके मालिक क्रिप्टोकरेंसी को बेचकर नुकसान को कम करना चाहते हैं।
एक स्टडी में पता चला है कि Bitcoin खरीदने वाले लगभग तीन चौथाई लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। यह जानकारी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के इकोनॉमिस्ट्स की ओर से पिछले सात वर्षों में लगभग 95 देशों के
क्रिप्टोकरेंसी इनवेस्टर्स के डेटा की स्टडी से मिली है। इस स्टडी में बताया गया है कि बिटकॉइन में इनवेस्टमेंट करने वाले लगभग तीन चौथाई लोगों को नुकसान होने का अनुमान है। इस अवधि में बिटकॉइन का प्राइस लगभग 250 डॉलर से बढ़कर पिछले वर्ष नवंबर में लगभग 69,000 डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंचा था। ऐप्स के जरिए क्रिप्टोकरेंसीज खरीदने और बेचने वाले लोगों की संख्या इस अवधि में 1.19 लाख से बढ़कर लगभग 3.25 करोड़ पर पहुंच गई। स्टडी करने वाले रिसर्चर्स ने लिखा है, "हमारे एनालिसिस से पता चलता है कि बिटकॉइन के प्राइस में बढ़ोतरी इसके रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या बढ़ने से जुड़ी है।"