मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin की माइनिंग पर पिछले वर्ष चीन में बैन लगाया गया था। हालांकि, कैम्ब्रिज बिटकॉइन इलेक्ट्रिसिटी कंजम्प्शन इंडेक्स (CBECI) से पता चलता है कि चीन में बिटकॉइन माइनिंग एक्टिविटीज में दोबारा तेजी आई है और यह इस लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा देश है।
बिटकॉइन की ग्लोबल माइनिंग में चीन की हिस्सेदारी 21.1 प्रतिशत की है। बिटकॉइन माइनिंग में अमेरिका 37.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है।
डेटा के अनुसार, चीन में पिछले वर्ष सितंबर से बिटकॉइन माइनिंग दोबारा शुरू हुई थी। कैम्ब्रिज सेंटर फॉर ऑल्टरनेटिव फाइनेंस (CCAF) की ओर से CBECI को नियमित तौर पर उपलब्ध कराया जाता है। यह इंडेक्स माइनिंग पूल्स की ओर से दिए जाने वाले जियोलोकेशनल डेटा के इस्तेमाल से तैयार होता है। CCAF ने एक स्टेटमेंट में बताया कि डेटा से यह पता चल रहा है कि चीन में बड़े स्तर पर छिपकर बिटकॉइन माइनिंग हो रही है। बैन से बचने के लिए माइनर्स ऑफ-ग्रिड इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
चीन इससे पहले बिटकॉइन माइनिंग करने वाला सबसे बड़ा देश रहा है। हालांकि, पिछले वर्ष चीन की सरकार के बिटकॉइन माइनिंग और क्रिप्टो ट्रेडिंग पर रोक लगाने के बाद जुलाई में माइनिंग एक्टिविटी पूरी तरह बंद हो गई थी। इसके बाद सितंबर से माइनर्स ने छिपे हुए तरीकों से दोबारा माइनिंग शुरू कर दी थी।
हाल ही में चीन में शंघाई के हाई कोर्ट ने बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट
करार दिया था। पिछले वर्ष दायर एक कानूनी मामले को लेकर यह फैसला किया गया था। यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था। इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है। शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की थी। इसमें कहा गया है कि बिटकॉइन की एक विशेष इकोनॉमिक वैल्यू है और प्रॉपर्टी राइट्स के लिए सुरक्षा से जुड़े नियम इस पर लागू होते हैं। यह फैसला दो व्यक्तियों के बीच बिटकॉइन से जुड़े विवाद के एक मामले में दिया गया था। इसमें एक व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामला दायर कर एक अन्य व्यक्ति से उसके एक बिटकॉइन को लौटाने की मांग की थी। इसमें जिस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर किया गया था वह बिटकॉइन को लौटाने में नाकाम रहा था। इसके बाद कोर्ट ने इसमें मध्यस्थता की थी।
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