क्रिप्टो माइनिंग और ट्रेडिंग पर चीन में रोक लगाई गई है लेकिन शंघाई के हाई कोर्ट ने बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट करार दिया है जिसे चीन के कानून के तहत सुरक्षा प्राप्त है। पिछले वर्ष दायर एक कानूनी मामले को लेकर यह फैसला किया गया है। यह मामला बिटकॉइन लोन की रिकवरी से जुड़ा था। इस फैसले से चीन में क्रिप्टो से जुड़े लोगों को कुछ राहत मिल सकती है।
एक मीडिया रिपोर्ट के
अनुसार, शंघाई के हाई पीपल्स कोर्ट ने अपने WeChat चैनल पर एक स्टेटमेंट जारी कर बिटकॉइन को एक वर्चुअल एसेट मानने की पुष्टि की है। इसमें कहा गया है कि बिटकॉइन की एक विशेष इकोनॉमिक वैल्यू है और प्रॉपर्टी राइट्स के लिए सुरक्षा से जुड़े नियम इस पर लागू होते हैं। यह फैसला दो व्यक्तियों के बीच बिटकॉइन से जुड़े विवाद के एक मामले में दिया गया है। इसमें एक व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मामला दायर कर एक अन्य व्यक्ति से उसके एक बिटकॉइन को लौटाने की मांग की थी। इसमें जिस व्यक्ति के खिलाफ मामला दायर किया गया था वह बिटकॉइन को लौटाने में नाकाम रहा था। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता की थी।
दोनों पक्षों में यह सहमति बनी कि बिटकॉइन लेने वाले व्यक्ति लोन लेने के समय बिटकॉइन की वैल्यू से कुछ कम पर मुआवजे का भुगतान करेगा। कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह तय होता है कि चीन के कानून के तहत वर्चुअल एसेट्स को कैसे लिया जाएगा।
चीन में पिछले वर्ष क्रिप्टो माइनिंग पर बैन लगने के बाद से इससे जुड़े अधिकतर लोग अमेरिका, ईरान और कजाकिस्तान जैसे अन्य देशों में काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष जुलाई तक बिटकॉइन के माइनर्स में से लगभग 35.4 प्रतिशत अमेरिका में था। इससे अमेरिका क्रिप्टो माइनिंग का एक बड़ा सेंटर बन गया था।
चीन के पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने अपने डिजिटल युआन का
ट्रायल शुरू किया है। PBoC इसके ट्रायल में शामिल शहरों की संख्या बढ़ा रहा है। इन शहरों में इस वर्ष एशियन गेम्स की मेजबानी करने वाला Hangzhou भी शामिल है। इस ट्रायल में प्राइवेसी की सुरक्षा और अपराध को रोकने पर जोर दिया जाएगा। प्राइवेट डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तेज ग्रोथ के मद्देनजर डिजिटल युआन को लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। PBoC का उद्देश्य इस डिजिटल करेंसी के जरिए मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ाना है।
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