एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किमी दूर एक कोरस तरंग का पता लगाया है। यह पहले के अंदाजे से कहीं अधिक दूर है। अब तक, ये तरंगें पृथ्वी के केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं, जहां मैग्नेटिक फील्ड अधिक संरचित है। रिसर्चर्स का मानना था कि टेल में फैला हुई मैग्नेटिक फील्ड ऐसी तरंगों को बनने की अनुमति नहीं देगा, लेकिन यह नई खोज इसके परे कुछ अलग ही साबित करती है।
नोएडा के 14 वर्षीय स्कूली छात्र दक्ष मलिक ने NASA के प्रोग्राम के माध्यम से एक एस्टरॉयड की खोज की है। अब वह इसका नाम रखने की तैयारी में है। मलिक ने अपनी प्रारंभिक खोज को पिछले साल सब्मिट करवाया था। नासा ने अधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि कर दी है। इस एस्टरॉयड को 2023 OG40 के रूप में पहचाना गया है।
NASA के हाथ ब्रह्मांड में एक और खोज लगी है। नासा के वैज्ञानिकों ने एक नया एग्जोप्लेनेट खोजा है जिसे TOI-3261 b नाम दिया गया है। यह ग्रह बहुत ज्यादा गर्म बताया गया है। यह साइज में हमारे सौरमंडल के ग्रह नेप्च्यून जितना है। यह अपने तारे के बहुत ज्यादा नजदीक घूम रहा है। यहां पर सिर्फ 21 घंटे का ही 1 साल होता है।
NASA के अनुसार, सनराइज आर्क गैलेक्सी में मौजूद Earendel की खोज केवल टेक्नोलॉजी और ग्रेविटेशनल लेंसिंग कहे जाने वाले एक प्रभाव के जरिए प्रकृति की संयुक्त ताकत की वजह से हो सकी है
चीन का Zhurong रोवर लगभग दो वर्ष पहले मंगल ग्रह पर उतरा था। इसने मंगल की सतह पर पानी के निशान खोजे हैं। इस रोवर के निकट रेत के टीलों के संकेत भी मिले हैं
इसकी झलक अगले सप्ताह बुधवार या गुरुवार को दिखने की संभावना है। यह बिना बाइनॉक्युलर या टेलीस्कोप के भी दिख सकता है। एस्ट्रोनॉमर्स ने बताया है कि धरती से यह 2.5 लाइट मिनट्स या 2.7 करोड़ मील की दूरी से गुजरेगा