देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Bharti Airtel ने सात रीजन में 155 रुपये का नया एंट्री लेवल प्लान पेश किया है। इससे बेसिक टैरिफ लगभग 57 प्रतिशत बढ़ गया है। यह प्लान कर्नाटक, बिहार और राजस्थान सहित सात रीजन के लिए है। कंपनी ने 99 रुपये का टैरिफ समाप्त कर दिया है।
कंपनी ने पिछले वर्ष ओडिशा और हरियाणा में नया प्लान ट्रायल बेसिस पर शुरू किया था। पिछले वर्ष 5G स्पेक्ट्र्म की ऑक्शन में टेलीकॉम कंपनियों के अरबों डॉलर का खर्च करने के बाद रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए इन कंपनियों को टैरिफ में बढ़ोतरी करने की जरूरत है। टेलीकॉम कंपनियों के लिए परफॉर्मेंस का एक प्रमुख इंडिकेटर एवरेज रेवेन्यू प्रति यूजर (ARPU) होता है।
एयरटेल के लिए सितंबर तिमाही में यह 190 रुपये का था, जो तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 3.8 प्रतिशत और वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 24 प्रतिशत अधिक था।
एयरटेल की प्रतिद्वंद्वी Reliance Jio का ARPU सितंबर तिमाही में 177.2 रुपये था और यह दिसंबर तिमाही में मामूली बढ़कर 178.2 रुपये रहा है। रिलायंस जियो ने छह वर्ष पहले टेलीकॉम सेक्टर में उतरने के बाद टैरिफ घटाने की प्रतिस्पर्धा शुरू की थी। इससे अन्य टेलीकॉम कंपनियों को भी अपनी सर्विसेज के प्राइस घटाने पड़े थे। इसका बड़ा असर इन कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट पर पड़ा था। इस वजह से कुछ टेलीकॉम कंपनियां कारोबार से बाहर हो गई और कुछ का मर्जर हुआ था। टेलीकॉम मार्केट में तीन बड़ी प्राइवेट कंपनियां हैं।
इन दोनों टेलीकॉम कंपनियों ने अगले वर्ष मार्च तक 15 करोड़ तक मोबाइल फोन
यूजर्स के 5G में कन्वर्ट होने का टारगेट रखा है। ये दोनों कंपनियां अपनी 5G कवरेज को बढ़ा रही हैं। टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुड़े एग्जिक्यूटिव्स और एनालिस्ट्स का कहना है कि अगला फाइनेंशियल ईयर टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ा बदलाव लाएगा। ये कंपनियां अपनी 5G सर्विस का दायरा बढ़ाने के साथ ही अपने नेटवर्क को बेहतर बनाने पर भी फोकस करेंगी। अगले फाइनेंशियल ईयर में ये कंपनियां 1.5 लाख करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट कर सकती हैं। कर्ज के बोझ से दबे इस सेक्टर से पिछले तीन वर्षों में कुछ कंपनियां बाहर हुई हैं। पिछले वर्ष के अंत में टेलीकॉम सेक्रेटरी K Rajaraman ने कहा था, "5G के कारण यह वर्ष रोमांचक रहा है। यह एक बड़ा कदम है। हम अगले वर्ष 5G के तेजी से विस्तार की उम्मीद कर रहे हैं।" उन्होंने बताया था कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के ऑपरेशंस की कॉस्ट घटाने के लिए सरकार उपाय करना जारी रखेगी। इससे इन कंपनियों के लिए मार्जिन बढ़ेगा, जो कर्ज के बोझ से दबी हैं।
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