देश में बढ़ते साइबर फ्रॉड और टेलिकॉम स्कैम्स को देखते हुए Airtel ने एक बार फिर Reliance Jio और Vodafone Idea (Vi) को साथ आने का प्रस्ताव भेजा है। कंपनी चाहती है कि सभी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स मिलकर एक जॉइंट फ्रॉड प्रोटेक्शन इनिशिएटिव शुरू करें, जिससे रीयल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग और क्रॉस-नेटवर्क कोऑर्डिनेशन के जरिए ऐसे मामलों को तुरंत डिटेक्ट और ब्लॉक किया जा सके। Airtel ने इस बारे में दूरसंचार मंत्रालय और TRAI को भी जानकारी दी है।
PTI की
रिपोर्ट (via
TOI) में बताया गया है कि Airtel ने TRAI को इस साझेदारी को लेकर लेटर भेजा है। यहां बताया गया है कि कंपनी एक मजबूत और सिक्योर स्ट्रक्चर तैयार करना चाहती है, जो टेलीकॉम फ्रॉड में लगाम लगा सके। कंपनी ने एक अलग लेटर में डेटा भी शेयर किया, जिसमें बताया गया है कि 2024 के पहले 9 महीनों में देश में 17 लाख से ज्यादा साइबर क्राइम की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 11,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। कंपनी ने साफ कहा है कि अगर इंडस्ट्री एकजुट नहीं हुई, तो आम यूजर को स्कैमर्स से बचाना और मुश्किल हो जाएगा।
Airtel पहले से ही WhatsApp, Telegram, Facebook और Instagram जैसे सोशल व ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्कैमिंग लिंक्स को ब्लॉक करने के लिए एक
AI-बेस्ड सिस्टम इस्तेमाल कर रही है। लेकिन कंपनी का कहना है कि अब स्कैमिंग के तरीके और भी शार्प हो गए हैं, खासकर फिशिंग लिंक और नकली वेबसाइट्स के जरिए।
रिपोर्ट बताती है कि Airtel ने 14 मई 2025 को बाकी टेलिकॉम कंपनियों को दोबारा एक प्रस्ताव भेजा, जिसमें कहा गया है कि सभी मिलकर "Joint Telecom Fraud Initiative" लॉन्च करें। इससे सभी नेटवर्क्स मिलकर एकसाथ फ्रॉड को ट्रैक कर सकेंगे और एक जैसी सुरक्षा लेयर यूजर्स को मिलेगी।
यह पहली बार नहीं है जब Airtel ने ऐसा कॉलबरेशन मांगा हो। अक्टूबर 2024 में भी कंपनी ने सभी टेलिकॉम कंपनियों को एक लेटर भेजा था जिसमें कमर्शियल कॉलिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कॉर्पोरेट कनेक्शन डेटा को एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट में शेयर करने की बात की गई थी, ताकि
स्पैम कॉल्स को पहले ही ब्लॉक किया जा सके। इसमें DLT जैसा एक सेंट्रल प्लेटफॉर्म बनाने का सुझाव भी था।
रिपोर्ट के मुताबिक, Airtel के वाइस चेयरमैन और एमडी गोपाल विट्टल आने वाले दिनों में ग्राहकों को एक पर्सनल ईमेल भी भेजने वाले हैं जिसमें वे स्कैम के बदलते तरीकों और Airtel की तरफ से ली जा रही प्रोटेक्शन मेजर्स की जानकारी देंगे। उनका कहना है कि आज स्कैमर्स सिर्फ कॉल या SMS से नहीं, बल्कि चैट, ईमेल, सोशल मीडिया और ऐप्स के जरिए यूजर्स को टारगेट कर रहे हैं।