चंद्रमा पर मनुष्यों को भेजने वाला अमेरिका एकमात्र देश है। हालांकि, अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चंद्रमा पर रोबोट भेजने के लिए विभिन्न देशों के बीच प्रतिस्पर्धा में हिस्सा नहीं लिया है। रूस ने 1970 के दशक में चंद्रमा पर पहला रोबोटिक रोवर लैंड कराया था। भारत ने भी लगभग चार वर्ष पहले ऐसी कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं हुई। चंद्रमा पर एकमात्र रोवर चीन का Yutu-2 है। इस लगभग 300 पाउंड भार वाले रोवर ने चंद्रमा के दूर वाले छोर पर पिछले चार वर्ष बिताए हैं और चट्टानों की इमेजेज भेजी हैं।
इसके अलावा जापान, ग्रीस और संयुक्त अरब अमीरात ऐसे रोवर भेजने की कोशिशों में जुटे हैं। Bloomberg की एक
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका की Carnegie Mellon University (CMU) के छात्रों की अगुवाई वाला एक ग्रुप Iris कहे जाने वाले एक रोवर को मून पर भेजने की तैयारी कर रहा है। इसे एक कमर्शियल लैंडर पर भेजा जाएगा। इसे 4 मई को लॉन्च किया जाना है। इस प्रोजेक्ट की जानकारी देने वाले एक पोस्टर को देखने के बाद इस ग्रुप से जुड़े फिजिकल के अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट, Nikolai Stefanov को शुरुआत में टेक्निकल वर्क में लगे ग्रुप के लोगों के लिए कॉफी लाने की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, तीन वर्ष बाद Stefanov को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल गई है। वह इस प्रोजेक्ट के मिशन कंट्रोल डायरेक्टर बनाए गए हैं और चंद्रमा पर रोवर के उतरने के बाद वह इससे जुड़े कार्य को संभालेंगे।
Iris का साइज एक स्मॉल बॉक्स जितना और भार 4 पाउंड से कुछ अधिक है, जिससे यह चंद्रमा पर भेजा जाने वाला सबसे स्मॉल और हल्का रोवर बन जाएगा। इसे एल्यूमीनियम के बजाय कार्बन फाइबर से बनाया गया है। इसकी लैंडिंग को ऑपरेट कर रही Astrobotic Technology को मून पर 14 पेलोड ले जाने हैं। हालांकि, CMU ने इसकी लैंडिंग की कॉस्ट की जानकारी नहीं दी है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग आठ लाख डॉलर का खर्च हुआ है। इस रोवर में फ्रंट और बैक पर सिंगल कैमरा है। इसके पास धरातल के निकट होने का फायदा है जिससे इसका कैमरा चंद्रमा पर डस्ट की निकट से इमेज ले सकेगा।
इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग का कुछ हिस्सा CMU ने उपलब्ध कराया है। इसके अलावा क्राउडफंडिंग के जरिए भी रकम जुटाई गई है। अमेरिका के स्पेस प्रोग्राम का जोर मंगल ग्रह पर है।
NASA ने मंगल पर पांच रोवर उतारे हैं। इनमें से पहला 1997 में पहुंचा था। NASA की योजना अगले वर्ष मून पर अपना पहला रोवर भेजने की है। Viper कहे जाने वाले इस रोवर से मून पर रिसोर्सेज की जानकारी हासिल करने के साथ ही बर्फ की लोकेशन और मात्रा का पता लगाने की कोशिश होगी।
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