नासा (NASA) ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) को श्रेणीबद्ध (align) करने के लिए तीन महीने की प्रक्रिया शुरू की है। इसका मकसद 10 बिलियन डॉलर (लगभग 74,710 करोड़ रुपये) की ऑब्जर्वेट्री को शुरू करना है। हाल में इसने प्रकाश के पहले कणों को अपना रास्ता बनाते हुए देखा है। इस साल गर्मियों तक इस ऑब्जर्वेट्री के तैयार होने की उम्मीद है। नासा ने बताया है कि जेम्स वेब के नियर इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCam) ने स्टारलाइट के पहले फोटॉन का पता लगाया। नासा ने कहा कि इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की एक टीम टेलीस्कोप के 18 दर्पणों (mirrors) को श्रेणीबद्ध करने के लिए NIRCam के साथ लिए गए डेटा का उपयोग करके एक नया लेंस बनाएगी। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का यह प्रोजेक्ट NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने मिलकर शुरू किया है। इसका मकसद खगोलविदों को सफल खोजों में मदद करना है।
पिछले साल क्रिसमस के मौके पर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को एरियन-5 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया था। तब से वैज्ञानिकों ने इसे कई फेज से गुजारा है। लॉन्च के ठीक एक महीने बाद यह टेलीस्कोप पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंज पॉइंट 2 (L2) पर पहुंच गया। यहां से यह टेलीस्कोप ब्रह्मांड की दिलचस्प घटनाओं पर नजर रखेगा। गुरुत्वाकर्षण की दृष्टि से L2 अंतरिक्ष में स्टेबल पॉइंट है।
प्रोजेक्ट के चीफ साइंटिस्ट जॉन माथर ने हाल ही में कहा था कि टेलीस्कोप के ‘उपकरण कूलिंग में हैं' लेकिन उन्होंने लाइट के अलग-अलग पार्टिकल्स (फोटॉन) का पता लगाना शुरू कर दिया है। Space.com की एक
रिपोर्ट के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और एस्ट्रोफिजिसिस्ट जॉन माथर ने कहा कि दुनिया को दिखाने के लिए अभी तक कोई इमेजेस नहीं थी। लेकिन हमें उम्मीद थी कि जल्द इमेजेस को डेवलप कर लिया जाएगा।
एक बयान में नासा ने कहा है कि टेलीस्कोप-कमीशनिंग की प्रोसेस पिछले स्पेस टेलिस्कोप की तुलना में ज्यादा समय लेती है, क्योंकि जेम्स वेब के प्राइमरी मिरर्स में 18 इंडिविजुअल मिरर सेग्मेंट हैं। जेम्स वेब को हकीकत में अपना काम शुरू करने के लिए एक सख्त कमीशनिंग प्रोसेस से गुजरने में लगभग पांच महीने और लगेंगे। इसकी इमेजेस, हबल टेलीस्कोप द्वारा ली गईं तस्वीरों से अलग होने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि जेम्स वेब चीजों को बड़े पैमाने पर इन्फ्रारेड में देखेगा। इसके मुकाबले हबल टेलीस्कोप विजिबल लाइट के साथ विभिन्न इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य (wavelengths) का इस्तेमाल करता है।
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