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Science News - ख़बरें

  • क्या पृथ्वी पर इस दिन खत्म हो जाएगा जीवन? वैज्ञानिकों ने वजह भी बताई
    वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के लिए ऐसी भविष्यवाणी की है जो डराने वाली है। वैज्ञानिकों ने वो समय बता दिया है जब पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने सुपरकंप्युटर सिमुलेशन का इस्तेमाल किया और बताया कि एक दिन पृथ्वी पर जिंदा रहना असंभव हो जाएगा। स्टडी कहती है कि एक दिन पृथ्वी की जीवनदायनी गैस ऑक्सीजन पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। यह घटना करीबन 1 अरब वर्ष बाद घटित हो चुकी होगी।
  • मंगल बर्फीला नहीं, नदियों और झीलों से भरा था! नई स्टडी में दावा
    वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल, या लाल ग्रह, कभी पृथ्वी जैसा था। पिछले चार सालों से NASA का पर्सेवरेंस रोवर (Perseverance rover) मंगल पर उस जगह का भ्रमण कर रहा है जहां पर कभी एक क्रेटर में एक शक्तिशाली नदी आकर गिरती थी। कंप्यूटर मॉडल सुझाते हैं कि प्राचीन मंगल पर अवश्य ही बर्फ गिरती होगी, बारिश होती होगी। इसने ग्रह पर सैकड़ों झीलों और नदी घाटियों का निर्माण किया होगा।
  • आखिर चल गया पता! यूरेनस ग्रह पर 17 घंटे का है 1 दिन, 84 साल में लगाता है सूरज का 1 चक्कर!
    यूरेनस पर दिन की लम्बाई पृथ्वी के दिन से कम निकल कर आई है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा इकट्ठा किए गए दशकों के डेटा को खंगाला, जिससे पता लग पाया कि यूरेनस (Uranus) पर एक दिन 17 घंटे, 14 मिनट, और 52 सेकंड लम्बा होता है। NASA के स्पेसक्राफ्ट Voyager 2 द्वारा बताया गया समय इससे 28 सेकंड कम था।
  • चंद्रयान-3 मिशन ने खोले चांद के गहरे राज, कई हिस्सों पर हो सकती है बर्फ!
    चंद्रयान-3 मिशन की मदद से वैज्ञानिकों को चांद के बारे में एक अहम जानकारी मिलने की बात सामने आ रही है। चंद्रयान मिशन के द्वारा डेटा इकट्ठा किया गया, उसकी स्टडी से यह सामने आया है कि चांद पर कई और ऐसी जगहें हो सकती हैं जहां पर बर्फ मौजूद हो सकती है। ये जगहें इसकी सतह के नीचे बताई जा रही हैं।
  • एस्टरॉयड का खतरा टल गया! नासा ने एस्टरॉयड 2024 YR4 को लेकर जारी की ताजा रिपोर्ट
    एस्टरॉयड 2024 YR4 पृथ्वी से 2032 में टकराने वाला था जिसके बारे में पिछले दिनों कई रिपोर्ट्स आईं। अब नासा ने इसके धरती से टकराने की संभावना को न के बराबर बताया है। एस्टरॉयड के ऑर्बिट की अपडेटेड ट्रैकिंग ने 2032 में इसके प्रभाव की संभावना को 0.00005 या 20,000 में 1 तक कम कर दिया है। अब एस्टरॉयड के प्रभाव की संभावना पृथ्वी पर शून्य के बराबर पहुंच गई है।
  • 3 अरब साल पहले महासागर से घिरा था मंगल! मिले 'समुद्री बीच' के निशान
    मंगल के बारे में नई खोज सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि मंगल पर पूरा सागर मौजूद रहा होगा। नई स्टडी में दावा किया गया है कि यहां पर चट्टानों के नीचे समुद्री बीच (beach) मौजूद है। स्टडी को चीनी और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मिलकर कंडक्ट किया है। चीनी रोवर झुरॉन्ग का डेटा खंगालने पर वहां सागर का किनारा होने के सबूत मिले हैं।
  • टल गया खतरा? 300 फीट चौड़े एस्टरॉयड के धरती से टकराने की संभावना पर NASA की नई रिपोर्ट
    NASA ने एस्टरॉयड 2024 YR4 को लेकर फिर से एक रिपोर्ट जारी की है। एजेंसी ने एस्टरॉयड के टकराने की संभावना को अब घटा दिया है। पहले यह 32 में से एक थी, और अब यह 360 में से 1 हो गई है। इस एस्टरॉयड का अनुमानित साइज 55 मीटर बताया गया है। अंतरिक्ष से जो अगली चिंताजनक आफत है वह 1950 DA नाम का एस्टरॉयड है।
  • सूर्यग्रहण 2025: इस दिन लगने जा रहा साल का पहला सूर्य ग्रहण, कहां दिखेगा, भारत में नजर आएगा या नहीं? जानें सबकुछ
    साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा जो कि यूरोप, एशिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, और साउथ अमेरिका में दिखाई देगा। यह अटलांटिक महासागर से भी देखा जा सकेगा। यूरोप के अधिकतर हिस्सों में यह प्रभावी रूप से दिखेगा। वहीं, नॉर्थ अमेरिका में भी यह काफी अच्छी तरह से दिखाई देगा।
  • मंगल पर दिखी रहस्यमय बनावट! Elon Musk बोले- 'जांच के लिए मिशन भेजना चाहिए'
    Elon Musk ने मंगल पर एक खोजी अभियान भेजकर जांच करने की बात कही है। दरअसल नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर (MGS) के मार्स ऑर्बिटर कैमरा (MOC) ने मंगल पर एक फोटो खींची थी जिसमें एक सटीक चौकोर आकृति दिखाई दे रही है। यह एक सटीक वर्ग जैसा दिखता है। Musk ने कहा है कि इसके बारे में सीधे जाकर खोज करनी चाहिए कि आखिर इस स्क्येअर शेप का रहस्य क्या है।
  • चांद पर उड़ने वाला रोबोट भेजेगा चीन, करना क्‍या चाहता है? जानें
    चंद्रमा के लिए कई मिशन तैयार हो रहे हैं। अमेरिका आर्टिमिस मिशन भेजकर वहां दोबारा से इंसान को उतारना चाहता है, तो चीन एक रोबोटिक मिशन भेजने की योजना बना रहा है। ड्रैगन, चांद पर पानी की खोज करना चाहता है और उसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक स्मार्ट रोबोटिक ‘फ्लायर डिटेक्टर’ भेजने की योजना का खुलासा किया है।
  • पृथ्‍वी 24 घंटे में कैसे घूमती है? लद्दाख में भारतीय वैज्ञानिक ने शूट किया Video, देखें
    एक भारतीय खगोलशास्त्री दोर्जे अंगचुक (Dorje Angchuk) ने बेहतरीन टाइम-लैप्स वीडियो बनाया है। इसे लद्दाख में शूट किया गया है। वीडियो में वहां की एक साइंस लेबोरेटरी के सामने पृथ्‍वी को घूमते हुए दिखाया गया है। वीडियो अपने आप में यूनीक है और हमारे ग्रह की गति को लेकर अनूठा दृश्‍य पेश करता है। दोर्जे अंगचुक लद्दाख के हानले में स्थित ऑब्‍जर्वेट्री के इंजीनियर इन-चार्ज हैं।
  • वैज्ञानिकों का काम खत्‍म! AI भी कर सकता है सौर तूफान की भविष्‍यवाणी
    एक नई स्‍टडी में कहा गया है कि AI, पिछले साल मई में पृथ्वी पर आए शक्तिशाली सौर तूफान (solar storm) की भविष्यवाणी कर सकता था। वह तूफान सूर्य पर एक्टिव AR13664 नाम के सनस्‍पॉट से निकला था। जेनोआ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि ऐतिहासिक सौर घटनाओं पर एआई को ट्रेनिंग दी जाए तो वह कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से पहले के पैटर्नों की पहचान कर सकता है।
  • क्‍या एस्‍टरॉयड्स लेकर आए धरती पर जीवन? Bennu के सैंपल में वैज्ञानिकों को मिला नया सबूत
    वैज्ञानिकों ने बेन्नू (Bennu) नाम के एस्‍टरॉयड में ऐसे अणुओं का पता लगाया है, जो जीवन के लिए जरूरी होते हैं। यह स्‍टडी नेचर जर्नल में पब्‍ल‍िश हुई है, जो संकेत देती है कि जिस रसायन ने बेन्नू एस्‍टरॉयड का निर्माण किया, वह आज बृहस्पति और शनि के बर्फीले चंद्रमाओं पर हो सकता है।
  • चार गुना तेजी से गर्म हो रहा समुद्र, सिर्फ एक चीज रोक सकती है यह ‘मुसीबत’, जानें
    एक नई स्‍टडी ने इस चिंता को बढ़ा दिया है। इसमें कहा गया है कि बीते चार दशकों में समुद्र के गर्म होने की रफ्तार चौगुनी हो गई है। यह स्‍टडी जरनल एनवायरनमेंटल रिसर्च लेटर्स में पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि 1980 के दशक में समुद्र का तापमान प्रति दशक 0.06 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा था, जो मौजूदा समय में 0.27 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक (10 साल) हो गया है।
  • पृथ्‍वी से 1.5 लाख किलोमीटर दूर से आई चिड़‍ियों के ‘चहचहाने’ जैसी आवाज! जानें पूरा मामला
    वैज्ञानिक वर्षों से ऐसी चहकती (chirping) तरंगों के बारे में जानते हैं, जो खतरनाक रेडिएशन से जुड़ी हैं। ये तरंगें इंसानों और सैटेलाइट्स दोनों को प्रभावित कर सकती हैं। अब खगोलविदों की एक इंटरनेशनल टीम ने अंतरिक्ष के एक नए क्षेत्र में इन तरंगों का पता लगाया है। इससे सवाल पैदा हुआ है कि आखिर इन तरंगों की उत्‍पत्‍त‍ि कहां से होती है। ये तरंगें अंतरिक्ष में मौजूद सबसे पावरफुल नेचुरल इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक रेडिएशन में से एक हैं।

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