Stainless Steel Rocket : अंतरिक्ष के क्षेत्र में रीयूजेबल रॉकेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है। अमेरिकी स्पेस कंपनी ‘स्पेसएक्स' काफी वक्त से रीयूजेबल रॉकेट उड़ा रही है। ये रॉकेट बार-बार यूज में लाए जाते हैं, जिससे किसी भी मिशन की कॉस्ट में कमी आती है। भारत भी रीयूजेबल रॉकेट डेवलप करने की दिशा में आगे बढ़ा है। चीन में इस पर अलग तरह से काम हो रहा है। वहां के एक स्पेस स्टार्टअप लैंडस्पेस (Landspace) ने रीयूजेबल स्टेनलेस स्टील रॉकेट (stainless steel rocket) को डेवलप करने की योजना बनाई है।
चीन के शहर चोंगकिंग में एयरोस्पेस से जुड़े एक इवेंट में कंपनी के सीईओ ने यह जानकारी दी। सीईओ झांग चांगवु की प्रेजेंटेशन से पता चला कि कंपनी अपने रॉकेट में स्टेनलैस प्रोपलैंट टैंक्स औेर क्लसटर्स को अमल में लाएगी। दो स्टेज वाले इस लॉन्चर की पृथ्वी की निचली कक्षा में पेलोड क्षमता 20 मीट्रिक टन होगी।
वेबसाइट spacenews ने इस ऐलान को अहम माना है, क्योंकि हाल में अमेरिकी स्पेस कंपनी ‘स्पेसएक्स' ने दुनिया के सबसे हैवी रॉकेट ‘स्टारशिप' को टेस्ट किया है। चीन और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा किसी से छुपी नहीं है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका को चीन से लगातार चुनौती मिल रही है।
हालांकि लैंडस्पेस ने यह नहीं बताया है कि वह अपने स्टेनलैस स्टील रॉकेट को कबतक लॉन्च करेगी। ऐसा लगता है कि प्रोजेक्ट शुरुआती फेज में है। मुमकिन है कि कंपनी को मैन्युफैक्चरिंग के दौरान भी कई चुनौतियों का सामना करना होगा। इनमें स्टील का वजन, उसकी क्वॉलिटी जैसी चुनौतियां प्रमुख हो सकती हैं।
भारत भी रीयूजेबल रॉकेट के निर्माण की योजना बना रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने पिछले साल बंगलूरू स्पेस एक्सपो (BSX) के दौरान यह घोषणा की थी। GSLV Mk III के बाद इसरो का अगला लॉन्च वीकल एक री-यूजेबल रॉकेट हो सकता है, जिसके इस्तेमाल से सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की लागत कम होने की उम्मीद है। कहा जाता है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी, री-यूजेबल रॉकेट के लिए स्पेस इंडस्ट्री, स्टार्टअप और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ काम करेगी।