मनुष्यों में बहुत कम आयु से चेहरों को पहचानने और उन्हें याद रखने की क्षमता होती है। नवजात शिशु अक्सर चेहरों को देखने की अपनी पसंद दिखाते हैं। उनके बड़े होने के साथ ही यह क्षमता भी बेहतर हो जाती है। चेहरे को पहचानना एक समग्र प्रक्रिया होती है। इसमें दिमाग व्यक्तिगत विशेषताओं के बजाय चेहरों को एक समग्र तौर पर याद रखता है।
लोगों को याद रखने की क्षमता के कारण मनुष्य लंबी अवधि तक मेलजोल रखने के लिए भी जाने जाते हैं। हालांकि, इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है कि वानरों में यह क्षमता किस प्रकार की होती है। हाल ही में Proceedings of the National Academy of Sciences में प्रकाशित एक
स्टडी में इसे लेकर कुछ दिलचस्प निष्कर्ष दिए हैं। इसमें बताया गया है कि चिंपाजी और बोनबोस में चेहरों को पहचानने की क्षमता होती है और वे 26 वर्षों तक अलग रहने के बाद भी चेहरे पहचान सकते हैं। रिसर्चर्स ने एक आई ट्रैकिंग टेस्ट के जरिए पाया है कि चिंपाजी और बोनबोस अपने समूह के पुराने साथियों को अजनबियों की तुलना में देखने के लिए अधिक समय लगाते हैं।
इससे चेहरे को पहचानने की चिंपाजियों की लंबी-अवधि की मेमोरी का संकेत मिलता है। इसमें एक दिलचस्प बात यह है कि चेहरे की ओर देखने की उनकी अवधि उनके पिछले संबंधों की स्थिति के साथ जुड़ती दिखती है। वे उन चेहरों को ज्यादा देर तक देखते हैं जिनके साथ उनकी निकटता होती है। इन
निष्कर्षों से यह माना जा सकता है कि मनुष्यों की लंबी अवधि की उत्कृष्ट मेमोरी की क्षमता चिंपाजी और बोनबोस में भी हो सकती है। इसके पीछे करोड़ों वर्ष पूर्व उनके साझा पूर्वज होने का कारण भी हो सकता है।
इस रिसर्च की पहली लेखिका Laura Lewis अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले से जुड़ी हैं। Lewis ने The Guardian को बताया, "इन निष्कर्षों से चिंपाजी और बोनबोस के पास लंबी-अवधि की मेमोरी होने का पता चला है। वानरों की मेमोरी पर उनके सामाजिक संबंधों का असर होने का भी इस स्टडी से संकेत मिला है। यह हैरान करने वाली बात है कि इस सामाजिक मेमोरी की अवधि और प्रकार मनुष्यों की लंबी-अवधि की मेमोरी के लगभग समान है।" इससे पहले कुछ स्टडीज में चिंपाजियों के पास मनुष्यों के समान प्रतिक्रिया देने की कुछ क्षमता का पता चला था।