चंद्रमा पर 2027 में पहुंचेगा भारत का चंद्रयान-4, धरती पर लाए जाएंगे सैम्पल

ISRO का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा था। इससे चंद्रमा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 19 फरवरी 2025 17:01 IST
ख़ास बातें
  • चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा
  • यह सैम्पल को धरती पर लाने का भारत का पहला मिशन है
  • इससे स्पेस रिसर्च में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी

चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा

पिछले कुछ वर्षों में स्पेस से जुड़े मिशंस में भारत ने तेजी से प्रगति की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अगले लुनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम की तैयारी शुरू कर दी है। Chandrayaan-4 मिशन 2027 में लॉन्च होना है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के साथ ही चंद्रमा की सतह से सैम्पल एकत्र कर वापस धरती पर लाने का है। 

ISRO का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा था। इससे चंद्रमा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई थी। चंद्रयान-4 का कुल भार लगभग 9,200 किलोग्राम का होगा। यह चंद्रयान-3 की तुलना में दोगुने से अधिक है। इसका साइज अधिक होने की वजह से दो लॉन्च व्हीकल मार्क- III (LVM 3) रॉकेट्स का इस्तेमाल जरूरी है। ये रॉकेट पांच विभिन्न मॉड्यूल्स को धरती के ऑर्बिट में ले जाएंगे, जहां चंद्रमा की यात्रा से पहले इन मॉड्यूल्स की डॉकिंग की जाएगी। ISRO ने बताया है कि इनमें से चार मॉड्यूल चंद्रमा की ओर जाएंगे और दो मॉड्यूल की लैंडिंग होगी। एक मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर रहेगा और दूसरा सैम्पल वापसी धरती पर लाएगा। 

यह सैम्पल को धरती पर लाने का भारत का पहला मिशन है। इससे स्पेस रिसर्च में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी। हाल ही में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, Jitendra Singh ने बताया था, "चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह से सैम्पल वापस धरती पर लाने का है।" आगामी वर्षों में ISRO की कुछ बहुत महत्वपूर्ण मिशंस को लॉन्च करने की तैयारी है। इनमें Gaganyaan मिशन भी शामिल है। इस मिशन में एस्ट्रोनॉट्स को लो-अर्थ ऑर्बिट में भेजा जाएगा। गगनयान मिशन को अगले वर्ष लॉन्च किया जाना है। 

हाल ही में ISRO ने अपना 100वां मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन में आंध्र प्रदेश के Sriharikota के स्पेसपोर्ट से नेविगेशन सैटेलाइट एक GSLV रॉकेट से लॉन्च किया गया था। यह भारतीय उपमहाद्वीप में यूजर्स को सटीक पोजिशन, वेलोसिटी और टाइमिंग उपलब्ध कराने के लिए नेविगेशन विद द इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) सीरीज में दूसरा सैटेलाइट है। NavIC में पांच सेकेंड जेनरेशन सैटेलाइट शामिल हैं। NVS-02 का डिजाइन और डिवेलपमेंट U R Satellite Centre ने किया है। इसका भार लगभग 2,250 किलोग्राम का है। इसके L1, L5 और S बैंड्स में नेविगेशन पेलोड हैं। 
 

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