अमेरिकी एयरोस्पेस की दौड़ में कई प्राइवेट कंपनियां मुकाबला कर रही हैं। इनमें बोइंग (Boeing) भी शामिल है, जो एक मानव रहित अंतरिक्ष यात्री कैप्सूल की टेस्टिंग करने और स्पेस सेक्टर में अपनी प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने में लगी है। बीते दिनों हमने आपको बताया था कि 19 मई को CST-100 स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए लॉन्च किया जाना है। नासा के अंतरिक्ष यात्रियों और अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि बोइंग का स्टारलाइनर स्पेस कैप्सूल, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए अपने मानव रहित लॉन्च के लिए तैयार है। यह लॉन्च काफी वक्त से पेंडिंग है, जिसका फायदा एलन मस्क के स्पेस वेंचर स्पेसएक्स को हुआ है। लॉन्च का वक्त भारतीय समय के मुताबिक, 20 मई सुबह 4:24 बजे है।
गमड्रॉप के आकार वाले बोइंग सीएसटी-100 स्टारलाइनर कैप्सूल को साल 2019 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन इसका सॉफ्टवेयर फेल होने से ऐसा नहीं हो सका। पिछले साल बोइंग और उसकी सहयोगी एयरोजेट के बीच स्टारलाइनर के प्रोपल्शन सिस्टम को लेकर टकराव हुआ था। इस वजह से जुलाई 2021 की टेस्ट फ्लाइट को भी कैंसल करना पड़ा था। दोनों कंपनियों ने इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार बताया था।
बहरहाल, फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्टारलाइनर एक बार फिर लॉन्च होने के लिए तैयार है। इस लॉन्च के जरिए बोइंग यह दिखाना चाहती है कि उसका स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित है। मिशन सफल हुआ तो बोइंग को जेटलाइनर बिजनेस में आ रहे संकट से निपटने में आसानी होगी।
जानकारी के मुताबिक, नासा के अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर भविष्य में स्टारलाइनर की पहली चालक दल से लैस उड़ान का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि यह तभी मुमकिन होगा, अगर आज होने वाला मिशन सफल रहता है। नासा की स्पेस ऑपरेशंस चीफ कैथी लाइडर्स ने कहा कि हमारी टीम इसके लिए तैयार होने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। स्टारलाइनर फ्लाइट एक टेस्ट मिशन है। उन्होंने कहा कि हमने 2019 के पहले अनक्रूड डेमो से बहुत कुछ सीखा है।
इस मिशन के तहत स्टारलाइनर शुक्रवार को अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक करने की कोशिश करेगा और पृथ्वी पर लौटने से पहले ऑर्बिटल आउटपोस्ट पर समय बिताएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो स्टारलाइनर आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रियों के अपने पहले दल को उड़ा सकता है। हालांकि नासा के अधिकारियों ने कहा है कि इसमें देर हो सकती है।
इस मिशन में देरी से बोइंग पर 4,622 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा कॉस्ट आई है। मिशन के जरिए बोइंग अपनी प्रतिद्वंद्वी स्पेसएक्स को सीधी चुनौती देना चाहती है। हालांकि अभी वह इस दौड़ में पीछे दिखाई दे रही है।