YouTube ने भारत में बढ़ाया प्रीमियम सब्सक्रिप्शन का प्राइस

इसके इंडिविजुअल प्लान का सिंगल यूजर के लिए रेट 129 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 149 रुपये प्रति माह किया गया है। फैमिली प्लान वाले यूजर्स को 299 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा

YouTube ने भारत में बढ़ाया प्रीमियम सब्सक्रिप्शन का प्राइस

नए यूजर्स के लिए एक महीने का ट्रायल उपलब्ध है

ख़ास बातें
  • इस बिना विज्ञापन वाली सर्विस के सभी सब्सक्रिप्शन प्लान के रेट्स बढ़े हैं
  • इसके स्टूडेंट प्लान को 79 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 89 रुपये किया गया है
  • अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल के पास यूट्यूब का मालिकाना हक है
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वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस YouTube ने देश में अपनी Premium सर्विस का प्राइस बढ़ा दिया है। इस बिना विज्ञापन वाली सर्विस के सभी सब्सक्रिप्शन प्लान के रेट्स में बढ़ोतरी की गई है। इनमें इंडिविजुअल, फैमिली और स्टूडेंट सब्सक्रिप्शन प्लान शामिल हैं। इस सर्विस में यूजर्स को बिना विज्ञापन के वीडियो की स्ट्रीमिंग, बैकग्राउंड में वीडियो देखने या म्यूजिक सुनने की सुविधा और पिक्चर-इन-पिक्चर (PiP) मोड जैसे फीचर्स मिलते हैं। 

यह पता नहीं चला है कि YouTube Premium के मौजूदा सब्सक्राइबर्स को नए रेट्स के भुगतान के लिए ग्रेस पीरियड मिलेगा या नहीं। इसके इंडिविजुअल प्लान का सिंगल यूजर के लिए रेट 129 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 149 रुपये प्रति माह किया गया है। फैमिली प्लान वाले यूजर्स को 299 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा। इस प्लान में यह सर्विस पांच यूजर्स तक एक्सेस कर सकते हैं। पहले इसका प्राइस 189 रुपये का था। 

इसके स्टूडेंट प्लान को 79 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 89 रुपये किया गया है। इसके प्रीपेड प्लान्स के रेट भी बढ़ाए गए हैं। नए यूजर्स के लिए एक महीने का ट्रायल उपलब्ध है। अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी Google के कंट्रोल वाली YouTube को पिछले वर्ष डीपफेक्स को लेकर केंद्र सरकार ने चेतावनी दी थी। यूट्यूब सहित कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह बताया गया था कि देश के कानून के तहत डीपफेक्स और ऐसे कंटेंट पोस्ट करने पर प्रतिबंध है जो अश्लीलता या गलत जानकारी फैलाता है। 

इन रूल्स के तहत बच्चों के लिए हानिकारक, अश्लीलता या एक अन्य व्यक्ति की नकल करने वाले कंटेंट पर प्रतिबंध लगाया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल से नेताओं और सेलेब्रिटीज के जाली वीडियो बनाने के मामले बढ़े हैं। इस तरह के वीडियो को डीपफेक कहा जाता है। सरकार इसके खिलाफ नए रेगुलेशंस बनाने की तैयारी कर रही है। इन रेगुलेशंस के तहत, डीपफेक्स बनाने वाले और इसे होस्ट करने वाले प्लेटफॉर्म पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए जल्द AI से जुड़े रेगुलेशंस को कानूनी दायरे में लाया जा सकता है। देश का AI मार्केट 2027 तक 25-35 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ बढ़कर 17 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन Nasscom और Boston Consulting Group की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि इस ग्रोथ के पीछे टेक पर एंटरप्राइसेज का खर्च बढ़ना और AI में इनवेस्टमेंट जैसे कारण होंगे। 
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