देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने रिक्रूटमेंट प्रोसेस में 'गड़बड़ी' के आरोपों को गलत करार दिया है। कंपनी का कहना है कि यह मुद्दा कुछ एंप्लॉयीज और कॉन्ट्रैक्टर्स को उपलब्ध कराने वाले वेंडर्स के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने से जुड़ा है।
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रिपोर्ट में कहा गया था कि एक व्हिसलब्लोअर ने कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि TCS के रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) के हेड, E S Chakravarthy वर्षों से स्टाफिंग फर्मों से कमीशन ले रहे हैं। इस शिकायत के बाद कंपनी ने आरोपों की जांच के लिए TCS के चीफ इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर, Ajit Menon सहित तीन सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की टीम बनाई थी।
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि
कंपनी ने जांच के बाद रिक्रूटमेंट के हेड को छुट्टी पर भेज दिया है और RMG से चार एग्जिक्यूटिव्स को बर्खास्त किया है। इसके अलावा तीन स्टाफिंग फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया गया है। हालांकि, ब्लैकलिस्ट की गई स्टाफिंग फर्मों के बारे में जानकारी नहीं मिली है। इस रिपोर्ट में एक एग्जिक्यूटिव के हवाले से कहा गया था कि इस स्कैम में शामिल लोगों को कमीशन के जरिए लगभग 100 करोड़ रुपये मिले हो सकते हैं। इस बारे में TCS के प्रवक्ता ने कहा, "कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन की शिकायतें मिलती रहती हैं। कंपनी के पास इसकी जांच और समाधान करने के लिए मजबूत प्रक्रिया है।"
इस मुद्दे पर TCS ने स्टॉक एक्सचेंजों को दिए एक स्टेटमेंट में कहा है, "हमने शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच की है। इस जांच में पाया गया कि ये आरोप कंपनी की ओर से या कंपनी के खिलाफ किसी फ्रॉड से नहीं जुड़े। इसका कोई वित्तीय प्रभाव नहीं है। कथित स्कैम का संदर्भ गलत है। हमारे मैनेजर स्तर का कोई भी प्रमुख व्यक्ति किसी गड़बड़ी में शामिल नहीं है। यह मुद्दा कुछ एंप्लॉयीज और कॉन्ट्रैक्टर्स को उपलब्ध कराने वाले वेंडर्स के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने से जुड़ा है।" आमतौर पर, TCS जैसी बड़ी IT कंपनियां एंप्लॉयी रेफरल प्रोग्राम और स्टाफिंग फर्मों के जरिए एग्जिक्यूटिव्स की रिक्रूटमेंट करती हैं। इसके अलावा कंपनी में अस्थायी वर्कर्स या कॉन्ट्रैक्टर्स को हायर करने के लिए स्टाफिंग फर्मों की सर्विस ली जाती है।