सोशल मीडिया पर कंटेंट को ब्लॉक करने के रूल्स की पड़ताल करेगा सुप्रीम कोर्ट 

दो जजों की बेंच ने कहा कि अगर व्यक्ति की पहचान की जा सकती है तो नोटिस दिया जाएगा और अगर जिस व्यक्ति ने इनफॉर्मेशन को होस्ट किया है उसकी पहचान नहीं की जा सकती, तो इंटरमीडियरी को नोटिस भेजा जाएगा

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 3 मार्च 2025 23:52 IST
ख़ास बातें
  • सुप्रीम कोर्ट ने रूल के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार से उत्तर मांगा है
  • इस याचिका में इनफॉर्मेशन पोस्ट करने वाले को नोटिस देने की मांग की गई है
  • इससे पहले भी सोशल मीडिया पर कंटेंट से जुड़े रूल्स का विरोध हो चुका है

इससे पहले भी सोशल मीडिया पर कंटेंट को ब्लॉक करने से जुड़े रूल्स का विरोध किया जा चुका है

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर कंटेंट को लेकर शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से रूल्स भी बनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया एकाउंट्स या कंटेंट को ब्लॉक करने से जुड़े रूल्स की पड़ताल करने पर सहमति दी है। ये रूल्स इस कंटेंट को तैयार या पोस्ट करने वालों का पक्ष सुने बिना इसे ब्लॉक करने से जुड़े हैं। 

जस्टिस B R Gavai और Augustine George की बेंच ने इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (प्रोसीजर एंड सेफगार्ड्स फॉर ब्लॉकिंग फॉर एक्सेस ऑफ इनफॉर्मेशन बाय पब्लिक) रूल्स के रूल 16 का खारिज करने की मांग वाली याचिका पर सरकार से उत्तर मांगा है। इस याचिका पर बेंच की ओर से नोटिस जारी किया गया है। याचिकाकर्ता सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की ओर से पेश हुई सीनियर एडवोकेट इंदिराजयसिंग ने बताया कि इनफॉर्मेशन को पोस्ट करने वाले व्यक्ति को कोई नोटिस नहीं दिया गया और केवल X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजा गया था। उन्होंने कहा, "सरकार की इनफॉर्मेशन को हटाने की शक्ति को चुनौती नहीं दी गई है। इनफॉर्मेशन को हटाने पर उस व्यक्ति को भी नोटिस दिया जाना चाहिए जिससे उस इनफॉर्मेशन को सार्वजनिक मंच पर पेश किया है।" 

एडवोकेट पारस नाथ सिंह की ओर से दायर याचिका में इन रूल्स के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती दी गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि कंटेंट को पोस्ट करने वाले व्यक्ति को ब्लॉकिंग के निवेदन का नोटिस जारी करने को वैकल्पिक बनाने के जरिए रूल 8 ने अथॉरिटीज को यह 'एकाधिकार' दिया है कि इनफॉर्मेशन को पोस्ट करने वाले व्यक्ति को नोटिस दिया जाए या नहीं। बेंच ने शुरुआत में कहा था कि जिस व्यक्ति को शिकायत है वह इसे लेकर कोर्ट से गुहार लगा सकता है। इसके साथ ही बेंच का कहना था कि अगर व्यक्ति की पहचान की जा सकती है तो नोटिस दिया जाएगा और अगर जिस व्यक्ति ने इनफॉर्मेशन को होस्ट किया है उसकी पहचान नहीं की जा सकती, तो इंटरमीडियरी को नोटिस भेजा जाएगा। 

इस बारे में जस्टिस गवई का कहना था, "शुरुआती नजर में हमारा मानना है कि रूल को इस तरीके से पढ़ना चाहिए कि अगर एक व्यक्ति की पहचान की जा सकती है, तो उसे नोटिस दिया जाना चाहिए।" जब जयसिंग ने कहा कि कोर्ट को सोशल मीडिया के बारे में जानकारी होगी, तो जस्टिस गवई ने बताया कि वह किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं हैं। 



 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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