इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जल्द ही अमेरिका और भारत का एक संयुक्त मिशन भेजा जा सकता है। इसके लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की ओर से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को एडवांस्ड ट्रेनिंग दी जाएगी। ISS पर संयुक्त मिशन को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी।
भारत में अमेरिका के राजदूत, Eric Garcetti ने एक कार्यक्रम में बताया, "भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को जल्द ही NASA एडवांस्ड ट्रेनिंग देगी। इसका लक्ष्य इस वर्ष या इसके बाद जल्द ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक संयुक्त मिशन भेजने का है।" US कमर्शियल सर्विस (USCS) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया, "जल्द ही हम ISRO के सतीश धवन स्पेस सेंटर से NISAR सैटेलाइट को लॉन्च करेंगे। यह धरती की सतह, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और क्रायोस्फेयर जैसे रिसोर्सेज की निगरानी करेगा।"
NASA और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का धरती का अवलोकन करने वाला यह एक संयुक्त मिशन है।
Garcetti का कहना था, "अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग और शांति की कोशिशों में हम मिलकर कार्य कर रहे हैं।" भारत और अमेरिका के बीच हुआ Artemis Accord चंद्रमा और उससे आगे के एक्सप्लोरेशन के लिए दोनों देशों के बीच एक फ्रेमवर्क है। ISRO के चेयरमैन, S Somanath ने बताया, "भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजीज और विशेषतौर पर स्पेस से जुड़े मिशंस में कनेक्शन मजबूत हो रहा है।"
पिछले वर्ष NASA ने कहा था कि भारत को उसका स्पेस स्टेशन बनाने में मदद के लिए अमेरिका तैयार है। NASA के एडमिनिस्ट्रेटर Bill Nelson ने भारत के दौरे के दौरान बताया था कि अमेरिका और भारत की अगले वर्ष के अंत तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक भारतीय एस्ट्रॉनॉट को भेजने की योजना है।
ISRO और NASA के ज्वाइंट वेंचर में जल्द ही स्टेट-ऑफ-द-आर्ट सैटेलाइट NISAR को लॉन्च करने की योजना है। इसके साथ ही Gaganyaan के मॉड्यूल माइक्रोमीटियोरॉइड एंड ऑर्बिटल डेबरीज प्रोटेक्शन शील्ड्स की टेस्टिंग के लिए NASA के हायपरवेलोसिटी इम्पैक्ट टेस्ट (HVIT) का उपयोग करने की संभावना पर ISRO विचार कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ISRO से 2035 तक भारतीय स्पेस स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स को लैंड कराने का लक्ष्य रखने को कहा है। NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) को लगभग 1.5 अरब डॉलर की लागत से डिवेलप किया गया है।
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