बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में शामिल Infosys को फ्रेशर्स की छंटनी करने की वजह से मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड एंप्लॉयमेंट ने कर्नाटक की लेबर मिनिस्ट्री को इंफोसिस में फ्रेशर्स की छंटनी के विवाद का समाधान करने के लिए जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
IT वर्कर्स की यूनियन Nascent Information Technology Employees Senate (NITES) ने इससे पहले लेबर मिनिस्ट्री के सामने इंफोसिस के मैसुरु कैम्पस में फ्रेशर्स की छंटनी का मुद्दा उठाया था। लेबर मिनिस्ट्री ने कहा है, "इस मामले की जांच कर्नाटक सरकार से करने का निवेदन किया जाता है।" पिछले सप्ताह
इंफोसिस ने लगभग 300 फ्रेशर्स की छंटनी करने की पुष्टि की थी। कंपनी ने बताया था कि ये वर्कर्स इंटरनल टेस्ट्स को पास नहीं कर सके थे। हालांकि, NITES ने बताया है कि इंफोसिस ने लगभग 700 वर्कर्स की छंटनी की है। इन वर्कर्स को कुछ महीने पहले ही कंपनी ने जॉइन कराया था।
NITES ने कहा है कि बर्खास्त किए गए फ्रेशर्स को गोपनीयता से जुड़े एग्रीमेंट साइन करने के लिए बाध्य किया गया था, जो छंटनी के विवरण छिपाने की कोशिश है। NITES ने इस छंटनी और इसके दायरे में आए वर्कर्स पर असर को लेकर आशंका जताई है। लेबर मिनिस्ट्री को लिखे पत्र में NITES ने कहा था, "हमें प्रभावित वर्कर्स की ओर से मिली कई शिकायतों से यह पता चला है कि इंफोसिस ने हाल ही में जॉइन करने वाले फ्रेशर्स को जबरदस्ती बर्खास्त किया है। इन वर्कर्स की ऑफर लेटर मिलने के बाद जॉइनिंग में दो वर्ष की देरी हुई थी।"
हालांकि, इंफोसिस ने बताया था कि जिन वर्कर्स को बर्खास्त किया गया है वे इंटरनल टेस्ट्स को पास नहीं कर सके थे। कंपनी ने कहा है कि यह तरीका हायरिंग के दौरान वर्कर्स की ओर से साइन किए गए एग्रीमेंट के अनुसार है। NITES का कहना है कि
कंपनी ने पूर्व नोटिस और मुआवजे के बिना अपने मैसुरु कैम्पस से सैंतड़ों वर्कर्स को बर्खास्त किया है। इन वर्कर्स को बर्खास्त करने के बाद उन्हें कैम्पस को छोड़ने के लिए कहा गया था और उन्हें डराने के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स और बाउंसर्स का इस्तेमाल किया गया था। इससे पहले भी कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों पर वर्कर्स की बिना कोई मजबूत कारण बताए छंटनी करने के आरोप लगे थे।