इंटरनेट सर्च से जुड़ी Google में वर्कर्स के लिए नया परफॉर्मेंस रिव्यू सिस्टम लागू किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में वर्कर्स को लो परफॉर्मेंस रेटिंग्स मिलने का रिस्क होगा। पिछले वर्षों की तुलना में कम वर्कर्स ही हाई रेटिंग हासिल कर सकेंगे। नया रिव्यू सिस्टम अगले वर्ष से लागू किया जाएगा।
CNBC की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि गूगल का अनुमान है कि कंपनी के फुल टाइम वर्कर्स में से छह प्रतिशत कम रैंकिंग वाली कैटेगरी में आएंगे। इससे उनकी जॉब के लिए रिस्क बढ़ जाएगा। हालांकि,
कंपनी ऐसे वर्कर्स को सुधार का मौका दे सकती है। कंपनी के मौजूदा सिस्टम में केवल दो प्रतिशत वर्कर्स को निचली रैंकिंग मिलती है।
गूगल के स्टाफ के लिए चुनौती बढ़ जाएगा क्योंकि हाई रैंकिंग वाले वर्कर्स को भी रेटिंग बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी। गूगल का अनुमान है कि केवल 22 प्रतिशत वर्कर्स ही सबसे ऊंची दो कैटेगरी में आएंगे। मौजूदा सिस्टम में यह आंकड़ा लगभग 27 प्रतिशत का है।
गूगल के CEO, Sundar Pichai ने हाल ही में कंपनी की एक मीटिंग में छंटनी की आशंका जताई थी। अगर गूगल से निचली रैंकिंग वाले छह प्रतिशत वर्कर्स को निकाला जाता है तो यह संख्या 10,000 वर्कर्स तक हो सकती है। अमेरिका में टेक सेक्टर में पिछले कुछ महीनों में बहुत सी कंपनियों ने छंटनी की है। इनमें Meta, Amazon और Twitter शामिल हैं। बिलिनेयर एलन मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को टेकओवर करने के बाद पिछले महीने कंपनी के लगभग आधे वर्कर्स की छंटनी की थी। सोशल मीडिया साइट फेसबुक को चलाने वाली मेटा से भी बड़ी संख्या में स्टाफ की छंटनी की गई है।
भारत में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने एंड्रॉयड मोबाइल डिवाइसेज को लेकर अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए गूगल पर अक्टूबर में लगभग 1,338 करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई थी। इसके साथ ही गूगल को ऐसे कारोबारी तरीकों को बंद करने और इनसे बचने का आदेश दिया था। गूगल ने CCI के ऑर्डर को अपीलेट ट्राइब्यूनल NCLAT में चुनौती दी है। गूगल के प्रवक्ता ने कहा, "हमने एंड्रॉयड पर CCI के ऑर्डर के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है। हमारा मानना है कि यह हमारे उन भारतीय यूजर्स और कारोबारों के लिए बड़ा धक्का है जो एंड्रॉयड के सिक्योरिटी फीचर्स पर विश्वास करते हैं।