ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla ने भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की मैन्युफैक्चरिंग करने की योजना बनाई है। कंपनी की इस योजना के बारे में केंद्र सरकार की ओर से संकेत दिया गया है। टेस्ला के एग्जिक्यूटिव्स ने इसे लेकर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की है।
स्टेट मिनिस्टर फॉर टेक्नोलॉजी Rajeev Chandrasekhar ने Reuters को दिए इंटरव्यू में बताया, "भारत में प्रोडक्शन और इनोवेशन का बेस बनाने को लेकर टेस्ला गंभीर है। हमने उन्हें संकेत दिया है कि भारत में टेस्ला की महत्वाकाक्षांओं और इनवेस्टमेंट के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार मदद करेगी।" इससे पहले Reuters ने रिपोर्ट दी थी कि टेस्ला ने भारत में
EV बनाने का प्रपोजल दिया है। इसके अलावा वह EV की बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग पर भी विचार कर रही है। यह पूछने पर कि क्या
टेस्ला के साथ बातचीत में सिर्फ व्हीकल्स बनाने के अलावा भी विषय शामिल थे, चंद्रशेखर ने कहा, "जब ऐसी चर्चाएं होती हैं तो आप केवल कारों के बारे में बात नहीं करते। आप कारों, एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी के बारे में बात करते हैं। ये सब बातचीत में शामिल था।"
इस बारे में टेस्ला को टिप्पणी के लिए किए गए निवेदन का उत्तर नहीं मिला है। बहुत सी ग्लोबल कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को चीन से बाहर बढ़ाना चाहती हैं। ऐसी कंपनियों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 'मेक इन इंडिया' अभियान एक अच्छा जरिया हो सकता है। टेस्ला के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Elon Musk ने पिछले वर्ष इम्पोर्ट टैक्स में कमी के निवेदन को सरकार की ओर से ठुकराए जाने के बाद देश में इलेक्ट्रिक कारें बेचने की अपनी योजना को टाल दिया था। मस्क का कहना था कि भारत में कारों पर इम्पोर्ट टैक्स बहुत ज्यादा है।
हाल ही में मस्क ने कहा था कि इस वर्ष कंपनी फुल सेल्फ-ड्राइव टेक्नोलॉजी लॉन्च कर सकती है। इससे टेस्ला का प्रॉफिट बढ़ने की संभावना है। कंपनी फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD) सॉफ्टवेयर को एक विकल्प के तौर पर लगभग 15,000 डॉलर में बेचती है। मस्क ने कहा था, "मुझे लगता है कि हम इस वर्ष इसे पेश करेंगे।" इससे पहले मस्क कई बार टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों की सेल्फ-ड्राइविंग क्षमता को लेकर तय किए गए लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सके हैं। पिछले कुछ महीनों में टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारों के प्राइसेज में कटौती की गई है। इससे कंपनी के मार्जिन पर असर पड़ा है।