पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टो मार्केट में वोलैटिलिटी बहुत अधिक रही है। इससे बहुत से इनवेस्टर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। Bitcoin और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज इस वर्ष की शुरुआत से काफी गिरी हैं या एक रेंज में कारोबार कर रही हैं। इससे खरीद और बिक्री करने वाले सामान्य इनवेस्टर के पास बिक्री करने या तेजी आने का इंतजार करने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं है।
हालांकि, इनवेस्टर्स का एक वर्ग गिरावट के इस दौर में भी मुनाफा कमा रहा है। यह वर्ग हेज फंड जैसे आब्रिट्राजर्स का है, जो विभिन्न देशों और एक्सचेंजों के बीच प्राइस में अंतर से मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। ब्रिटेन की Nickel Digital Asset Management के को-फाउंडर और CEO Anatoly Crachilov ने
बताया, "मई में मार्केट में बड़ी गिरावट आने पर हम 0.40 प्रतिशत फायदे में थे।" आब्रिट्राज ट्रेडिंग में किसी एसेट को एक स्थान पर कम प्राइस में खरीदकर किसी अन्य स्थान पर अधिक प्राइस पर बेचा जाता है। इसमें एसेट की मात्रा में कोई बदलाव किए बिना प्राइस में अंतर का फायदा उठाया जाता है।
ट्रेडिंग का यह तरीका निश्चित तौर पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए नहीं है। इसमें कई मार्केट्स और एक्सचेंजों के एक्सेस की जरूरत होती है और इसके साथ ही एल्गोरिद्म का इसमें बड़ा योगदान रहता है। इस वजह से बड़े हेज फंड्स जैसी फर्में ही इससे प्रॉफिट कमा सकती हैं।
क्रिप्टो हेज फंड्स के लिए यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली स्ट्रैटेजी है। K2 Trading Partners ने बताया कि एल्गोरिद्म का इस्तेमाल करने वाले उसके क्रिप्टो आब्रिट्राज फंड का रिटर्न इस वर्ष लगभग 1 प्रतिशत रहा है जबकि बिटकॉइन में इस वर्ष अभी तक लगभग 31 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
बहुत से मार्केट्स में आब्रिट्राज कई वर्षों से एक लोकप्रिय स्ट्रैटेजी रहा है लेकिन कुछ वर्ष पहले शुरू हुए क्रिप्टो सेगमेंट में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण दुनिया भर में कड़े रेगुलेशंस के बिना सैंकड़ों एक्सचेंज का होना है। K2 Trading Partners के CEO Hugo Xavier ने बताया कि इस प्रकार की ट्रेडिंग में क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच इंटरकनेक्टिविटी की कमी से फायदा होता है। इससे प्राइसेज में अंतर मिलता है और आब्रिट्राज के मौके बनते हैं। हालांकि, एक्सचेंज के सिस्टम में गड़बड़ी जैसी स्थितियों में नुकसान भी हो सकता है।