भारत के मून मिशन
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लॉन्च की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, मिशन से जुड़ी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने उम्मीद जताई है कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम होगा। ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने मीडिया से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बताया कि लॉन्च को 13 जुलाई के लिए सेट किया गया है, लेकिन यह 19 जुलाई तक पहुंच सकता है।
चंद्रयान-3
मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ‘लॉन्च वीकल मार्क-III' से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उससे पहले ‘रॉकेट लॉन्चपैड' एक और अनोखे ‘लॉन्च' का गवाह बनेगा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रॉकेट की लॉन्चिंग से पहले वहां एक किताब का विमोचन होगा। यह किताब विज्ञान संबंधित लेखों का संग्रह है। 'प्रिज्म: द एन्सेस्ट्रल एबोड ऑफ रेनबो' पहली ऐसी बुक है, जिसे ‘रॉकेट लॉन्चपैड' से लॉन्च किया जाएगा। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता एवं लेखक विनोद मनकारा ने लिखा है।
बहरहाल, चंद्रयान-3 मिशन को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में एक महीना लग सकता है। 23 अगस्त के आसपास यान,
चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा। वही सबसे महत्वपूर्ण क्षण होगा, क्योंकि साल 2019 में भारत का चंद्रयान-2 मिशन लैंडिंग के दौरान फेल हो गया था।
इस बार ऐसा ना हो, इसके लिए भी इसरो ने तैयारी की है। स्पेस एजेंसी ने चंद्रयान के एल्गोरिदम में बदलाव किया गया है। तय जगह पर लैंडिंग नहीं हो पाई, तो चंद्रयान-3 को दूसरी जगह उतारा जा सकता है। लैंडिंग के दौरान स्पीड को मापने के लिए यान में 'लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर' लगाया गया है।
चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करना है। वहां चहलकदमी करके यह साबित करना है कि इसरो और भारत, चांद पर कोई भी मिशन भेजने में समक्ष हैं। चंद्रयान-3 मिशन में स्वेदशी लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं।