जुलाई महीना भारत के लिए उम्मीदों और महत्वाकांक्षाओं से भरा हुआ है। यह महीना है देश के
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन का।
इसरो जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी कहते हैं अगले कुछ दिनों में देश को गौरन्वावित करने वाला है। 12 से 19 जुलाई के बीच भारत का तीसरा मून मिशन लॉन्च हो सकता है। हमने पूर्व में चंद्रयान-1 और 2 मिशन लॉन्च किए हैं। चंद्रयान-3 किन मायनों में अलग होगा। इससे भारत को क्या हासिल होगा? दुनियाभर के देशों के लिए मून मिशन क्यों महत्वपूर्ण हैं? इन जरूरी बातों को आज 10 पॉइंट्स में समझते हैं।
- चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्च की सबसे प्रबल संभावना 12 और 13 जुलाई को है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि 13 जुलाई की दोपहर ढाई बजे मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।
- इस मिशन को GSLV Mark 3 लॉन्च वीकल की मदद से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसे कामयाब बनाने के लिए इसरो ने खूब तैयारी की है। लैंडर और अन्य इक्विपमेंट के गहन टेस्ट किए गए हैं। पूरे प्रोसेस को फेलप्रूफ बनाया गया है, ताकि कम से कम नुकसान के साथ मिशन को सफल बनाया जाए।
- सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम' चांद की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह भारत के लिए बड़ा झटका था। चांद पर यान उतारने की हमारी पहली कोशिश नाकाम हो गई थी। उसी के बाद तैयारी शुरू हुई चंद्रयान-3 की।
- पहले कहा जा रहा था कि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही फॉलोअप है। हालांकि इसरो एस सोमनाथ कह चुके हैं कि यह चंद्रयान-2 की रेप्लिका नहीं है। यान की इंजीनियरिंग एकदम अलग है। इसे पहले के मुकाबले बहुत मजबूत बनाया है, ताकि पुरानी परेशानियां सामने ना आएं।
- मून मिशन में सबसे बड़ी चुनौती यान की लैंडिंग होती है। इसे मुमकिन बनाने के लिए इसरो ने चंद्रयान के एल्गोरिदम में बदलाव किया गया है। तय जगह पर लैंडिंग नहीं हो पाई, तो चंद्रयान-3 को दूसरी जगह उतारा जा सकता है। लैंडिंग के दौरान स्पीड को मापने के लिए यान में 'लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर' लगाया गया है।
- चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करना है। वहां चहलकदमी करके यह साबित करना है कि इसरो और भारत, चांद पर कोई भी मिशन भेजने में समक्ष हैं। चंद्रयान-3 मिशन में स्वेदशी लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं।
- आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 को एक महीने का सफर करना होगा। 23 अगस्त के आसपास यान, चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा। इस मिशन के लिए इसरो को 615 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।
- चंद्रयान-3 मिशन में कोई ऑर्बिटर शामिल नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रयान -2 का ऑर्बिटर सही तरीके से काम कर रहा है। यह मिशन भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसरो दूसरी बार चंद्रमा की सतह पर लैंड करने की कोशिश करेगा। वह कामयाब होता है, तो भविष्य में मंगल और अन्य ग्रहों पर भी मिशन लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।
- चांद पर अब तक जिन देशों ने मिशन भेजे हैं, उनमें सोवियत यूनियन, अमेरिका, यूरोपीय स्पेस एजेंसी, जापान, भारत, चीन और इस्राइल शामिल हैं। भारत इकलौता देश है, जिसने कम लागत में खुद को चांद तक पहुंचाया है।
- चंद्र मिशन तमाम देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। चंद्रमा हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित इकलौता उपग्रह है। अंतरिक्ष एजेंसियां वहां बेस बनाने में कामयाब हो जाती हैं, तो दूसरे ग्रहों पर मिशन भेजने की राह आसान हो सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) तो चंद्रमा से मंगल ग्रह पर मिशन लॉन्च करने की योजना बना रही है।
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