भारत में चंद्रयान-3 के साथ एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इससे पूरी दुनिया में स्पेस मिशंस को लेकर भारत की एक्सपर्टाइज को सराहा गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि लैंडर विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने के स्थान को 'शिव शक्ति प्वाइंट' कहा जाएगा।
ग्रीस की राजधानी एथेंस से शनिवार को सीधे बेंगलुरू पहुंचे मोदी ने
चंद्रयान-3 मिशन को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक 'असाधारण' क्षण बताया। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की सतह पर लगभग चार वर्ष पहले जिस स्थान पर चंद्रयान-2 क्रैश हुआ था उसे 'तिरंगा प्वाइंट' के तौर पर जाना जाएगा। मोदी ने बताया कि चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह के उतरने के दिन को नेशनल स्पेस डे के तौर पर मनाया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) में
ISRO की टीम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी का गला भर आया। उन्होंने ISRO की मेहनत और उत्साह की जमकर तारीफ की। ISRO के चेयरमैन, S Somanath ने मोदी को चंद्रयान-3 मिशन के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए HAL एयरपोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
ISRO के वैज्ञानिकों ने जब चंद्रयान-3 के डिजाइन की शुरुआत की थी, तो उन्हें पता था कि उनके पास चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास बनाने का एक और मौका है। लगभग चार वर्ष पहले उनकी यह कोशिश नाकाम हो चुकी थी। उन्हें इस बार कम बजट में यह मिशन पूरा करना था। चंद्रयान-3 पर केवल 6.15 अरब रुपये खर्च हुए हैं। एनालिस्ट्स, सप्लायर्स और अधिकारियों का कहना है कि रॉकेट पर कॉस्ट से लेकर देश में सप्लाई बेस बनाने तक ISRO की चंद्रयान-3 के साथ चंद्रमा पर लैंडिंग की सफलता से यह संकेत मिल रहा है कि ISRO ने कम कॉस्ट में बड़े मिशन पूरे करने का एक सिस्टम तैयार कर लिया है।
हालांकि, ISRO के इस इनोवेशन की टेस्टिंग आगामी स्पेस मिशंस में होगी। केंद्र सरकार ने पिछले फाइनेंशियल ईयर में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के लिए लगभग 13,700 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। हालांकि, डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने इससे लगभग 25 प्रतिशत कम खर्च किया था। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए यह बजट 12,560 करोड़ रुपये का है। इसकी तुलना में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA को मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए 25 अरब डॉलर का बजट मिला है।