Google भविष्य में अपने AI चिप्स को पृथ्वी से बाहर चलाने की तैयारी कर रहा है। सुंदर पिचाई का कहना है कि 2027 तक कंपनी शुरुआती TPU प्रोसेसरों को ऑर्बिट में भेज सकती है।
Photo Credit: Pixabay
Google के CEO सुंदर पिचाई ने हाल ही में एक ऐसी बात छेड़ दी है, जो सुनने में थोड़ी साइंस फिक्शन जैसी लगती है, लेकिन उनके हिसाब से आने वाले सालों में ये बिलकुल सच साबित हो सकती है। पिचाई ने इशारा दिया है कि Google के AI चिप्स, खासकर TPU प्रोसेसर्स आने वाले कुछ सालों में धरती से बाहर, सीधे स्पेस में चलने लग सकते हैं। DeepMind के लॉगन किलपैट्रिक के साथ बातचीत में पिचाई ने कहा कि AI मॉडल्स की तेज ग्रोथ इतनी बढ़ गई है कि पारंपरिक डेटा सेंटर्स आगे चलकर इस दबाव को झेल नहीं पाएंगे। इसलिए कंपनी को नई जगहों, यानी धरती के बाहर के विकल्पों पर भी सोचना पड़ रहा है।
पिचाई ने बताया कि Gemini 3 जैसे बड़े मॉडल और Nano Banana Pro जैसे छोटे लेकिन एडवांस्ड मॉडल्स को संभालने के लिए Google को अपने डेटा सेंटर्स, TPUs और GPUs की क्षमता को बेतहाशा बढ़ाना पड़ा। एक समय तो हालात ऐसे थे कि कंपनी के पास कम्यूटिंग की कमी पड़ने लगी थी और जनरेटिव AI के अचानक उछाल को संभालने के लिए भारी इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार करना पड़ा। इसी दबाव ने Google को यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या भविष्य में कुछ हार्डवेयर पृथ्वी से बाहर ले जाना पड़ेगा।
यहीं से स्पेस-बेस्ड चिप्स का कॉन्सेप्ट सामने आया। पिचाई के मुताबिक, 2027 तक Google अपने पहले TPUs को ऑर्बिट में ऑपरेट होते देख सकता है। उनका कहना है कि यह किसी रातों-रात बदलाव का नतीजा नहीं है, बल्कि एक लंबे समय की दिशा है जहां स्पेस कई फायदे देता है, लगातार मिलने वाली सोलर एनर्जी, कम तापमान और जमीन की कोई पाबंदी नहीं। आम यूजर्स के लिए इसका मतलब होगा तेज, ज्यादा स्टेबल और ज्यादा स्केलेबल AI सर्विसेज, जो अचानक बढ़ती मांग से स्लो न हों।
पिचाई का मानना है कि दुनिया एक ऐसे दौर में घुस रही है जहां सर्च से लेकर हेल्थकेयर, साइंस रिसर्च, वीडियो, और रोजमर्रा की डिजिटल जरूरतों तक, हर जगह AI गहराई से शामिल होगा। और जैसे-जैसे AI हर चीज में घुसेगा, वैसे-वैसे डेटा सेंटर्स की भूख भी बढ़ती जाएगी। इसी वजह से चाहे सुनने में अजीब लगे, लेकिन पिचाई के अनुसार स्पेस में हार्डवेयर भेजने का विचार भविष्य की बेसिक जरूरतों में से एक बन सकता है।
Google पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है। कंपनी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिसका नाम है Project Suncatcher है, जो इस बात की स्टडी कर रहा है कि बाहर अंतरिक्ष में किस तरह के कम्प्यूटिंग सिस्टम संभव होंगे और कैसे ऑपरेट करेंगे। फिलहाल तो पूरे स्पेस-बेस्ड डेटा सेंटर्स बनने में वक्त है, लेकिन ऑर्बिट में भेजे जाने वाले शुरुआती चिप्स इस पूरी सोच का पहला प्रूफ-ऑफ-कन्सेप्ट होंगे।
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