इसकी सतह पर चट्टानें पिघले हुए रूप में मौजूद हैं और इनसे लगातार गैसे निकल रही हैं जो इसके वातावरण में भरी हुई हैं। यानी यहां पर मैग्मा का महासागर मौजूद है।
खगोलविदों ने पृथ्वी जैसे दो ‘सुपर-अर्थ’ एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) का पता लगाया है। ये अपने सूर्य का चक्कर उस क्षेत्र में लगाते हैं, जो रहने के काबिल हो सकता है।
गृह धीमी रोशनी वाले तारे के चक्कर लगाता है। यह धीमी रोशनी वाला तारा सूरज से छोटा है इसलिए Ross 508 b इसके चारों ओर एक चक्कर को 10.75 दिन में पूरा कर लेता है।
दुर्भाग्य से भारत में लोग Supermoon की घटना को नहीं देख पाएंगे, क्योंकि उस समय यहां सुबह के 8 बज रहे होंगे और रोशनी ज्यादा होगी। हालांकि, देश में सुपरमून देखने के इच्छुक लोग इस इवेंट को ऑनलाइन लाइव देख सकते हैं।