चीन ने सैटेलाइट इंटरनेट की दुनिया में 100Gbps से ज्यादा की स्पीड हासिल कर ली है। चैंग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी कंपनी ने यह कारनामा कर दिखाया है। यह चीन की कमर्शियल सैटेलाइट कंपनी है जो कि 100Gbps स्पीड की टेस्टिंग कर चुकी है। चाइनीज सैटेलाइट फर्म ने दावा किया है कि इसने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक तरीके से एलोकेट किया जा सकता है। देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Reliance Jio की भी यह सर्विस शुरू करने की योजना है। ऐसी रिपोर्ट है कि स्टारलिंक ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट की ओर से लोकल डेटा स्टोरेज सरकार की ओर से डेटा इंटरसेप्शन से जुड़ी शर्तों के लिए औपचारिक तौर पर सहमति दी है।
टी-मोबाइल ने यूजर्स को Starlink सर्विस के बीटा टेस्ट में भाग लेने के लिए इन्वाइट करना शुरू कर दिया है। कुछ आईफोन यूजर्स को एक मैसेज मिल रहा है जिसमें लिखा है कि "आप T-Mobile Starlink बीटा में हैं। अब आप वर्चुअली कहीं से भी सैटेलाइट के जरिए टेक्स्टिंग से जुड़े रह सकते हैं। इससे आगे कवरेज का एक्सपीरियंस शुरू करने के लिए आप iOS 18.3 पर अपडेट कर सकते हैं।
टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia का कहना है कि इससे कंज्यूमर्स को अधिक विकल्प मिलेंगे। उन्होंने Reliance Jio की इस आशंका को गलत बताया है कि इससे Elon Musk की Starlink को फायदा होगा। पिछले कुछ महीनों से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम को दिए जाने के तरीके को लेकर स्टारलिंक का Mukesh Ambani की रिलायंस जियो के साथ विवाद चल रहा था।
हाल ही में मणिपुर में उग्रवादी गुटों के इंटरनेट शटडाउन से बचने के लिए सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस देने वाली Starlink के डिवाइस का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था। हालांकि, स्टारलिंक ने इसे गलत बताया था। ब्रिटेन के एक प्रमुख समाचार पत्र की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मणिपुर के कई क्षेत्रों में उग्रवादी गुट स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले कुछ सप्ताह में स्टारलिंक के दो डिवाइसेज बरामद हुए हैं। इनमें एक हिंसा का सामना करने पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में सेना को मिला है। सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस उपलब्ध कराने के लिए स्टारलिंक ने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी। इस वजह से यह कंपनी सुरक्षा को लेकर किसी भी आशंका को दूर करने का प्रयास कर रही है।
Elon Musk की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी Starlink कथित तौर पर भारत में इंटरनेट प्रोवाइड करने के लिए उपलब्ध होने वाली है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, Starlink कुछ जरूरी सरकारी नियमों का पालन करने के लिए सहमति जताते हुए भारत में काम करने के लिए तैयार होने वाली है। इन नियमों के तहत कंपनी को अपना सारा डाटा भारत के अंदर ही स्टोर करना होगा।
Starlink ने कथित तौर पर DoT की अहम शर्तों को मान लिया है, जिसके चलते उसकी भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कनेक्शन सर्विस को लॉन्च करने का रास्ता कथित तौर पर अब साफ होता नजर आ रहा है। पब्लिकेशन को बताया गया है कि एलन कंपनी सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है, जिसके बाद अब स्टारलिंक का भारत लाइसेंस आवेदन एक कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
SpaceX अंतरिक्ष में फिर से 20 नए सैटेलाइट लॉन्च करने जा रही है। ये सैटेलाइट Starlink नेटवर्क में बढ़ोत्तरी करेंगे। स्पेसएक्स ये सैटेलाइट कैलिफॉर्निया के वेंडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च करेगी। 9 नवंबर को कंपनी इन सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने जा रही है। सैटेलाइट लॉन्च में Falcon 9 रॉकेट की मदद ली जाएगी।
FASTag vs GNSS Toll : परिवहन मंत्रालय देश के चुनिंदा नेशनल हाइवेज में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) बेस्ड टोल कलेक्शन शुरू करने जा रहा है। यह सिस्टम मौजूदा FASTag के साथ काम करेगा।
बिलिनेयर Elon Musk की Starlink और ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी कंपनी Amazon की एक यूनिट ने भी देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च करने के लिए अप्रूवल मांगा है
Starshield के जासूसी सैटेलाइट्स धरती से लो ऑर्बिट पर मौजूद होंगे और इनसे अमेरिका के जमीन पर सैनिकों को सहायता मिलेगी। ये जमीन पर लक्ष्य का पता लगाकर उससे जुड़ा डेटा अमेरिका के मिलिट्री और इंटेलिजेंस अधिकारियों के साथ साझा करेंगे
Elon Musk Starlink in India : DoT (दूरसंचार विभाग) ने कथित तौर पर स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन लाइसेंस (GMPCS) दिया है, जो सैटेलाइट इंटरनेट के लिए अहम है।