पिछले सप्ताह JP Morgan की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इन्फ्लेशन बढ़ने, सप्लाई चेन की मुश्किलों और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की ग्रोथ पर लगाम लग सकती है
बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज में तेजी आने का बड़ा कारण इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी का असर और अमेरिका में बैंकिंग सिस्टम में मुश्किलें हैं। पिछले एक दिन में बिटकॉइन की वैल्यू 1,661 डॉलर बढ़ी है
एपल ने फरवरी में बताया था कि उसके Mac कंप्यूटर्स की बिक्री महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम की वजह से तेजी से बढ़ी थी। इसमें पिछली तिमाही में वैल्यू के लिहाज से वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 29 प्रतिशत की कमी हुई है
पिछले वर्ष के अंत में बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में शामिल FTX के दिवालिया होने का मार्केट पर बड़ा असर पड़ा था। इससे बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स ने क्रिप्टोकरेंसीज से दूरी बना ली थी
पिछले वर्ष के अंत में बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में शामिल FTX के दिवालिया होने का मार्केट पर बड़ा असर पड़ा था। इससे बड़ी संख्या में इनवेस्टर्स ने क्रिप्टोकरेंसीज से दूरी बना ली थी
कंपनी के इनवेस्टर्स को स्लोडाउन और इन्फ्लेशन अधिक होने से एपल के डिवाइसेज की डिमांड घटने की भी आशंका है। कंपनी ने अपने सप्लायर्स को लैपटॉप और वॉचेज के लिए पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग का ऑर्डर घटाया है
बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में शामिल FTX के बैंकरप्ट होने से इस मार्केट में बिकवाली बढ़ी थी। FTX के फाउंडर ने गोपनीय तरीके से कस्टमर्स के लगभग 10 अरब डॉलर को अपनी ट्रेडिंग फर्म Alameda Research में ट्रांसफर किया था
महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था और इसका असर उनके वैल्यूएशंस पर भी दिखा था। इस वर्ष इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी से इन कंपनियों के वैल्यूएशंस में काफी गिरावट आई है
बहुत से देशों में रेगुलेटर्स ने भी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इनवेस्टर्स को चेतावनी दी है। इससे भी मार्केट पर प्रेशर बढ़ा है। कुछ क्रिप्टो फर्मों के डिफॉल्ट करने से भी इस मार्केट को लेकर आशंकाएं हुई हैं
पिछले वर्ष नवंबर में बिटकॉइन ने 67,000 डॉलर से अधिक का हाई बनाया था। इसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है। इसका प्राइस गिरने से इनवेस्टर्स के साथ ही इस सेगमेंट से जुड़ी फर्मों को भी बड़ा नुकसान हुआ है