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वैज्ञानिकों ने खोजा शीशे जैसा ग्रह! अपने सूर्य की 80% रोशनी भेज देता है वापस, यहां बनते हैं मेटल के बादल

Mirror like Exoplanet! ग्रह की यह खूबी इसे शुक्र ग्रह की तरह पहला चमकदार एक्सोप्लैनेट बनाती है।

वैज्ञानिकों ने खोजा शीशे जैसा ग्रह! अपने सूर्य की 80% रोशनी भेज देता है वापस, यहां बनते हैं मेटल के बादल

Photo Credit: ESA

इसके मुकाबले पृथ्‍वी 30 फीसदी सूर्य की रोशनी ही रिफ्लेक्‍ट कर पाती है।

ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों ने अनोखे एक्‍सोप्‍लैनेट का पता लगाया है
  • यह ग्रह अपने सूर्य का चक्‍कर सिर्फ 19 घंटों में लगा लेता है
  • इसके सूर्य वाले हिस्‍से का तापमान 2 हजार डिग्री तक है
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वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल के बाहर अबतक देखे गए सबसे परावर्तक ग्रह (Reflective Planet) का पता लगाया है। यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी (ESA) के CHEOPS स्पेस टेलीस्कोप ने इसके बारे में जानकारी जुटाई है। इस टेलीस्‍कोप का पूरा नाम ‘कैरेक्‍टराइजिंग एक्‍सोप्‍लैनेट्स सैटेलाइट' है। टेलीस्‍कोप का ऑब्‍जर्वेशन बताता है कि यह अजीबोगरीब ग्रह हमारी पृथ्‍वी से 260 प्रकाश वर्ष से भी ज्‍यादा दूर है और अपने ऊपर पड़ने वाले 80 फीसदी प्रकाश यानी लाइट को रिफ्लेक्‍ट कर देता है। इसके मुकाबले पृथ्‍वी 30 फीसदी सूर्य की रोशनी ही रिफ्लेक्‍ट कर पाती है।      

ESA की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रह की यह खूबी इसे शुक्र ग्रह की तरह पहला चमकदार एक्सोप्लैनेट बनाती है। ऐसे ग्रह जो हमारे सूर्य के अलावा किसी और तारे की परिक्रमा करते हैं, एक्‍सोप्‍लैनेट कहलाते हैं। 

इस ग्रह का नाम LTT9779b रखा गया है, जिसका साइज नेपच्यून के बराबर है। इसे पहली बार साल 2020 में खोजा गया था। खास बात है कि यह ग्रह अपने सूर्य का चक्‍कर सिर्फ 19 घंटों में लगा लेता है। सूर्य के इतने नजदीक होने के कारण LTT9779b के सूर्य के सामने आने वाले हिस्‍से का तापमान 2 हजार डिग्री सेल्सियस है। 

यह स्‍टडी एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में पब्लिश हुई है। स्‍टडी के सह-लेखक विवियन पारमेंटियर ने एक बयान में कहा है कि इस ग्रह पर बादल कुछ उसी अंदाज में बनते हैं, जैसे गर्म पानी से नहाने के बाद बाथरूम में भाप बन जाती है। लेकिन इस ग्रह पर बादल भी मेटल के बनते हैं और टाइटेनियम की बूंदें बरसती हैं। 

यह ग्रह हमारी पृथ्‍वी से 5 गुना बड़ा है और जिस क्षेत्र में है, उसे ‘नेप्च्यून रेगिस्तान' कहा जाता है। इसका मतलब है कि उस इलाके में इस आकार के ग्रह नहीं हैं। रिसर्चर्स का कहना है कि इस तरह के ग्रहों का वातावरण उनका सूर्य ही खत्‍म कर देता है। यहां अच्‍छी बात है कि ग्रह पर जो मेटल के बादल बनते हैं, वही इसके लिए ‘शीशे' का काम करते हैं और ग्रह पर पड़ने वाली तारे की 80 फीसदी रोशनी को रिफ्लेक्‍ट कर देते हैं। इस वजह से इस ग्रह का  वायुमंडल बचा हुआ है।  
 
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प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

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