वैल्यू के लिहाज से इस दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी का प्राइस अप्रैल में 3,500 डॉलर से गिरकर लगभग 1,200 डॉलर पर पहुंच गया है। अपग्रेड से stETH कहे जाने वाले क्रिप्टो डेरिवेटिव टोकन के इनवेस्टर्स को भी राहत मिल सकती है
इस वर्ष के बजट में सरकार ने कहा था कि क्रिप्टो माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को एक्विजिशन की कॉस्ट के तौर पर नहीं माना जाएगा और इसके लिए डिडक्शन की अनुमति नहीं होगी
इससे Ethereum की इलेक्ट्रिसिटी की खपत 99 प्रतिशत तक घटने की उम्मीद है। Ethereum माइनर्स को ब्लॉकचेन पर ट्रांजैक्शंस का ऑर्डर देने के लिए बड़े सर्वर फार्म्स का इस्तेमाल करना पड़ता है जिससे इलेक्ट्रिसिटी की अधिक खपत होती है
इस दूसरे सबसे बड़े ब्लॉकचेन नेटवर्क पर ऑपरेट करने वाले माइनर्स ने नवंबर में 2 अरब डॉलर से अधिक का रेवेन्यू हासिल किया था। रेवेन्यू में बढ़ोतरी EIP-1559 के नतीजे में दिख रही है, जो पिछले वर्ष लंदन अपग्रेड के साथ लागू हुआ था
नवंबर के बाद से Ether की कीमत लगभग आधी हो गई है, और ब्यूटिरिन का कहना है कि "सर्दियां वह समय है जब उनमें से बहुत सारे एप्लिकेशन गिर जाते हैं और आप देख सकते हैं कि कौन से प्रोजेक्ट वास्तव में लॉन्ग-टर्म तक टिकाऊ हैं।"
पिछले हफ्ते ही, Bitcoinist की एक रिपोर्ट से पता चला था कि एक बिटकॉइन माइनर ने खुद ही एक ब्लॉक माइन कर 6.25 बिटकॉइन के ब्लॉक रिवॉर्ड के साथ-साथ ट्रांजेक्शन रिवॉर्ड भी हिसाल किया।
वर्तमान में माइनिंग में इस्तेमाल होने वाली उर्जा को लेकर एक्सपर्ट्स काफी परेशान है। क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में ब्लॉकचैन के एक बड़े नेटवर्क को बनाने की जरूरत पड़ती है, जो बेहद महंगा और अत्याधिक बिजली की मांग करता है।