पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसीज की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इस मार्केट की सबसे अधिक वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin में कुछ देशों की सरकारों ने भी इनवेस्टमेंट किया है। भारत का पड़ोसी देश भूटान भी इनमें शामिल है। भूटान की सरकार के पास 13,000 से अधिक बिटकॉइन हैं। इन बिटकॉइन की वैल्यू 75 करोड़ डॉलर से अधिक की है।
CoinGecko के डेटा के अनुसार, भूटान से जुड़े क्रिप्टो वॉलेट्स में लगभग 15 लाख डॉलर की वैल्यू वाले 650 से अधिक Ethereum भी हैं।
बिटकॉइन का सबसे बड़ा होल्डर अमेरिका है। अमेरिका के पास 2,13,240 से अधिक बिटकॉइन हैं। इसके बाद चीन लगभग 1,90,000 बिटकॉइन के साथ है। इस लिस्ट में ब्रिटेन (लगभग 61,000 बिटकॉइन ) तीसरे स्थान है। बिटकॉइन का रिजर्व रखने वाले देशों में भूटान चौथे स्थान पर है। हालांकि, इस सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने वाले पहले देश El Salvador के पास बिटकॉइन की संख्या काफी कम है। अल साल्वाडोर के पास लगभग 5,800 बिटकॉइन हैं।
भूटान के पास मौजूद बिटकॉइन अथॉरिटीज की ओर से जब्त की गई क्रिप्टोकरेंसीज से नहीं जुड़े हैं। भूटान सरकार की इनवेस्टमेंट यूनिट Druk Holding ने बिटकॉइन की माइनिंग करने के जरिए इस क्रिप्टोकरेंसी को हासिल किया है। पिछले वर्ष भूटान ने हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट्स से मिलने वाली इलेक्ट्रिसिटी के इस्तेमाल से चार साइट्स पर बिटकॉइन की माइनिंग की कोशिशें बढ़ाई थी। भूटान में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग सर्विसेज से जुड़ी फर्म Bitdeer Technologies ने माइनिंग डेटा सेंटर भी शुरू किया है।
हाल के वर्षों में भारत में भी
क्रिप्टोकरेंसीज में ट्रेडिंग करने वालों की संख्या बढ़ी है। अधिक टैक्स होने के बावजूद देश में क्रिप्टोकरेंसीज में दिलचस्पी बढ़ रही है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जिसमें क्रिप्टोकरेंसीज में इनवेस्टमेंट को लेकर दुनिया में भारत की हाई रैकिंग है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में रेगुलेटर्स ने इस सेगमेंट की कुछ फर्मों के खिलाफ कड़े कदम भी उठाए हैं। ब्लॉकचेन एनालिटिक्स फर्म Chainalysis ने एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले वर्ष जून से इस वर्ष जुलाई के बीच सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस एसेट्स का देश में इस्तेमाल बढ़ा है। क्रिप्टो सेगमेंट के खिलाफ केंद्र सरकार ने कड़ा रुख रखा है। पिछले वर्ष के अंत में नियमों का पालन नहीं करने की वजह से नौ ऑफशोर क्रिप्टो एक्सचेंजों को फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किए थे।